उज्जैन, अग्निपथ। शहर में लोटी स्कूल की जमीन को प्रशासन ने शासकीय बताते हुए 40 वर्षो से काम कर रही कई कम्पनी मालिकों को नोटिस भेजकर अतिक्रमण से हटने के लिए नोटिस भेजा है। नोटिस मिलने के बाद यहां काम कर रहे करीब 300 से अधिक कर्मचारी के सामने रोजगार जाने की समस्या खड़ी हो गई है।
नोटिस मिलने के बाद यहां संचालित होने वाली उद्योगों के मालिक मंगलवार को जनसुनवाई में अपनी बात रखने के लिए गए, लेकिन कलेक्टर नीरज सिंह ने उन्हें तहसीलदार के सामने अपना पक्ष रखने का कहा।
तहसीलदार रुपाली जैन की कोर्ट से लोटी स्कूल की करीब 2800 स्क्वेयर मीटर की जमीन को शासकीय बताते हुए 8 फैक्ट्री संचालको को जमीन पर अतिक्रमण का नोटिस थमाया। नोटिस मिलने के बाद उद्योग संचालको में हडक़ंप मच गया। उद्योगपतियों को प्रशासन से नोटिस मिलने के बाद उनकी जमीन को कमर्शियल उपयोग करने के लिए बेदखल किए जाने की तैयारी को देखते हुए उद्योगपति परिवार और कर्मचारी कलेक्टर कार्यालय पहुंचे थे।
जिसमें खुशी क्रिएटर प्रोपराइटर आशीष सांवरिया, रॉक इंजन के किशोर छाबड़ा, .क्राउन स्टील वर्क्स के प्रोपराइटर फजल हुसैन, राम प्लाईवुड एंड डोर्स विनीत शिंदे, खान केमिकल प्रोपराइटर यूनुस खान, जैन फैब्रिकेटर प्रोपराइटर प्रवीण जैन मौजूद थे। उद्योगपति को नोटिस मिलने के बाद बड़ा संकट खड़ा हो गया है। उद्योगपति ने कहा कि उक्त भूमि रिक्त भूमि नहीं है। उक्त भूमि पूर्व शासकीय खसरों में कभी भी शासकीय भूमि नहीं रही, 1950 में उक्त भूमि स्वामी मोहम्मद अली बालिग गुलाम अली उल्लेखित है। उक्त भूमि पर अनेक वर्षों से कंस्ट्रक्टेड शेड चिमनी मकान गोदाम इत्यादि निर्मित हैं, जिन पर उद्योग कार्यरत हैं।
लाखों का टैक्स और 300 से अधिक लोगो को रोजगार दिया: उद्योगपतियों ने बताया कि उज्जैन लोटी स्कूल परिसर स्थित भूमि सर्वे क्रमांक 3766 पर लगभग 10 उद्योगपतियों को दिनांक 09/07/2024 को धारा 248 नोटिस जारी कर पिछले 40 वर्षों से नियमित कार्यरत उद्योगपतियो को तुरंत बेदखली का कहा गया।
उद्योगपति इतने कम समय में कार्यरत उद्योग और उद्योग में रखा कच्चा माल, निर्मित उत्पाद इतनी जल्दी कहां ले जाएंगे।
1 ) लकड़ी के फर्नीचर बनाने का उद्योग,
2) लोहे की अलमारियां का उद्योग,
3) तेल मशीन बनाने का उद्योग,
4) इंडस्ट्रियल फेब्रिकेशन का कार्य,
5) लेथ मशीन,
6) केमिकल की फैक्ट्री,
7) पेपर रिसाइकिलिंग प्लांट होने के साथ साथ 40 वर्षों से नियमित कार्यरत है। करोड़ों का टर्नओवर है और लाखों रुपए का शासन को टैक्स भरते हैं। 300 से अधिक परिवार को रोजगार प्रदान है। इसके बाद भी हमें बेदखल किया जा रहा है।