चिंता की लकीरें हुईं समाप्त, फिलहाल एक दिन छोड़कर पानी की सप्लाई चलती रहेगी
उज्जैन। प्रति वर्ष उज्जैन में तेज बारिश देर से होती है और गंभीर डेम की तस्वीर को बदल देती है। अब गंभीर डेम की तस्वीर बदल गई है। तीन दिन पहले डेम में एक चौथाई पानी भी नहीं था और लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई थी, लेकिन रविवार की 7 बजे तक डेम में करीब 1264 एमसीएफटी पानी भर गया। कुल क्षमता 2250 एमसीएफटी से अब डेम केवल 986 एमसीएफटी ही खाली है। आज और कल भी बारिश का रेड अलर्ट मौसम विभाग ने जारी किया है।
पिछले दो दिनों से उज्जैन में भारी और मध्यम बारिश हो रही है। जिसके चलते पूरा शहर तरबतर हो रहा है। शिप्रा नदी उफान पर है और घाटों के मंदिर आधे से अधिक डूब चुके हैं। गंभीर डेम में शुक्रवार 23 अगस्त तक केवल 469 एमसीएफटी पानी ही बचा था। दो दिनों से हो रही बारिश के कारण गंभीर डेम भी अपनी पूरी क्षमता की ओर तेजी से बढ़ रहा है। इंदौर में अच्छी बारिश होने के कारण यशवंत सागर डेम के गेट खोले जाने से यह पानी तेजी से गंभीर डेम की ओर बढ़ा। रविवार सुबह से डेम में पानी का बहाव आना कम हो गया है। यशवंत सागर डेम का गेट बंद कर देने से पानी का बहाव भी कम हो गया है। आज सुबह से यह स्थिति है। इस कारण एक घंटे में करीब एक सेंटीमीटर ही पानी का लेवल बढ़ रहा।
अभी एक दिन छोड़कर ही जल प्रदाय
गंभीर डेम जब तक पूरा नहीं भर जायेगा तब तक पीएचई द्वारा शहर को एक दिन छोड़कर ही पानी प्रदाय किया जाएगा। डेम पूरी तरह भर जाने के बाद ही नगर निगम प्रशासन इस बारे में कोई निर्णय ले सकेगा। डेम में अभी हजार एमसीएफटी पानी और भरने की जगह है।
गंभीर डेम में यह रही पानी की स्थिति
रविवार सुबह 1264 एमसीएफटी, कल सुबह था 854 एमसीएफटी, 23 अगस्त को था 469 एमसीएफटी, कुल 791 एमसीएफटी पानी बढ़ गया।
24 घंटे में 52 मिमी बारिश दर्ज
शहर में बारिश का दौर लगातार जारी है। कभी धीमी तो कभी तेज गति से रुक रुककर हो रही बारिश से शहर तरबतर हो गया वहीं वातावरण में भी ठंडक घुल गई है। जीवाजी वेधशाला से मिली जानकारी के अनुसार शनिवार शाम 6 बजे से दूसरे दिन रविवार की शाम 6 बजे तक शहर में 52 मिमी बारिश दर्ज हुई है। इस तरह से 2 इंच बारिश पिछले 24 घंटे में हो चुकी है।
सुबह हल्की बारिश हुई और दोपहर और शाम को तेज बारिश के कारण जलजमाव की स्थिति पैदा हो गई। उज्जैन संभाग सहित देवास और इंदौर में हो रही बारिश के कारण शिप्रा नदी उफान पर है। बाढ़ के कारण नदी के घाटों पर बने मंदिर डूब चुके हैं और उनके शिखर ही नजर आ रहे हैं। नदी का पानी बड़े पुल से नीचे बह रहा है।