उद्यानों की हालत खराब, पौधों की जगह जंगली घास और टूटे सामान

नगर निगम

मालियों के अते-पते नहीं, अधिकारियों के घरों में कर रहे देखभाल

उज्जैन, अग्निपथ। शहर में छोटे-बड़े मिलाकर 500 से ज्यादा उद्यान हैं लेकिन बहुत कम ही उद्यान होंगे, जिनका रखरखाव किया जा रहा है। शहरवासियों के लिए तैयार किए लाखों के उद्यान आज उन्हीं के काम नहीं आ रहे हैं, जिसकी वजह है कि उद्यानों का मेंटेनेंस नहीं होना।

शहर के सभी 6 जोन में आने वाले इन उद्यानों के रखरखाव की जिम्मेदारी नगर निगम के उद्यान विभाग के पास है लेकिन विभाग को जब रखरखाव का बोला जाता है, तब यही सामने आता है कि न तो विभाग के पास पर्याप्त कर्मचारी हंै और न ही संसाधन। कई उद्यानों के लिए कर्मचारी तो है पर वे काम ही नहीं करते हैं और उनके सुपरविजन के लिए भी कोई अधिकारी मौजूद नहीं है।

500 से ज्यादा उद्यानों के लिए 30 प्रशिक्षित माली नहीं हं और न ही रखरखाव का कार्य किसी योजना के साथ होता है। रखरखाव पर किसी का ध्यान ही नहीं जाता और उनकी स्थिति समय के साथ खराब होती जा रही है। शहर के सूरजनगर, सेठीनगर, निर्माणनगर, ऋषिनगर, सांदीपनि नगर ढांचा भवन व इसके साथ ही अधिकांश क्षेत्रों या कॉलोनियों में उद्यानों की हालत इस ही तरह है। घास की कटाई नहीं होने से उद्यान जंगल जैसे बन गए हैं। उद्यानों में कचरे का ढेर लगा है लेकिन कोई सफाई नहीं की जाती। और उनकी स्थिति समय के साथ खराब होती जा रही है।

माली हैं तो आखिरकार कहां…..

शहर के उद्यानों की हालत रखरखाव के अभाव में खराब हो रही है, तो दूसरी ओर निगम के वरिष्ठ अधिकारी इसको मानने को तैयार नहीं है। जानकारी में आया है कि प्रशिक्षित माली निगम के वरिष्ठ अधिकारियों के घरों की क्यारियों को सुंदर बनाने में लगे हुए हैं। बचे कुचे हैं, उनको दूसरे कामों में लगा दिया गया है। ऐसे में स्मार्ट सिटी का सपना लगता है सपना ही बनकर रह जायेगा।

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