उज्जैन: शहर को तीन दिन पेयजल व्यवस्था के लिये तरसाने वाले राजीव शुक्ल एवं सुभाष मुवेल निलंबित

जांच समिति ने अतिरिक्त चालू ट्रांसफार्मर को गंभीर डेम पर नहीं रखवाने का माना दोषी

उज्जैन, अग्निपथ। रविवार 3 नवम्बर को गंभीर इंटेक वेल के पैनल रूम में वॉटर सप्लाई कन्ट्रोल पैनल में फॉल्ट होने के कारण 4 नवम्बर को सम्पूर्ण उज्जैन शहर तथा 5 नवम्बर को आंशिक शहर में जल आपूर्ति बाधित हुई। अधीक्षण यंत्री, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी संजेश गुप्ता सहित तीन सदस्यीय समिति के द्वारा गंभीर इनटेक वेल पर स्थल निरीक्षण कर जांच प्रतिवेदन आयुक्त, नगर पालिक निगम, उज्जैन को प्रस्तुत किया गया। जिस पर घटना के दोषी दोनों प्रभारियों को कलेक्टर ने निलंबित करने के निर्देश दिये हैं।

जांच प्रतिवेदन अनुसार इनटेक वेल पर अतिरिक्त (स्टैंडबॉय) ट्रांसफार्मर की व्यवस्था ना होना तथा संबंधित फर्म मेसर्स ईपीएस ट्रांसफार्मर प्रा.लि. 205. जावरा कम्पाउण्ड बीजेपी भवन के पास इन्दौर, से चालू हालत में ट्रांसफार्मर भी नहीं रखवाया गया, साथ ही ट्रांसफार्मर ना रखने की स्थिति में संबंधित फर्म के विरुद्ध कोई कार्रवाई भी नहीं की गई। इससे शहर की जलप्रदाय व्यवस्था बाधित हुई तथा आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ा।

उल्लेखित जांच प्रतिवेदन के आधार पर राजीव शुक्ल, प्र. सहायक यंत्री (मूल पद उपयंत्री) लो.स्वा.यां.वि. एवं सुभाष मुवेल, प्रभारी उपयंत्री (मूल पद इलेक्ट्रिशियन) द्वारा आवंटित पदीय दायित्वों का समुचित रूप से निर्वाहन नहीं करते हुये कार्य के प्रति लापरवाही एवं उदासीनता बरती गई।

यह कृत्य अनुशासनहीनता की श्रेणी में मानते हुए राजीव शुक्ल, प्र. सहायक यंत्री (मूल पद उपयंत्री), लो.स्वा.यां.वि. एवं सुभाष मुवेल, प्रभारी उपयंत्री (मूल पद इलेक्ट्रिशियन) को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। निलंबन अवधि में इनका मुख्यालय संयुक्त संचालक, नगरीय प्रशासन एवं विकास उज्जैन संभाग, उज्जैन रहेगा तथा निलंबन अवधि में इन्हे नियमानुसार निलंबन भत्ते की पात्रता रहेगी।

निगम सभापति एवं महापौर ने भी किये प्रयास

तीन तक पेयजल के लिये तरसते हुए शहरवासियों को देखकर निगम सभापति श्रीमती कलावती यादव और महापौर मुकेश टटवाल ने पेयजल प्रदाय के लिये हरसंभव प्रयास किये। यहां तक कि अधिकारियों की बैठक बुलाकर उनको पेयजल प्रदाय करने के सख्त निर्देश भी दिये। इस दौरान निगमायुक्त आशीष पाठक के शहर के उपस्थित नहीं होने पर पूरी जिम्मेदारी इन दोनों जनप्रतिनिधियों की बन गई थी। जनप्रतिनिधि भी इस बात को समझ गये थे कि यह पूरा मामला लापरवाही और जानबूझकर किया गया है। ऐसे में तभी से इन अधिकारियों के निलंबन की तैयारी शुरू हो गई थी।

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