उज्जैन, अग्निपथ। नगरनिगम द्वारा शहर भर में लगाई गईं, स्ट्रीट लाइटों के खराब होने और इसका संधारण स्मार्ट सिटी नहीं करवाने के मुद्दे को लेकर 10 दिसम्बर को एक बार फिर जांच उपसमिति की बैठक का आयोजन निगम मुख्यालय में किया गया। लेकिन अधिकारी कर्मचारियों के नहीं पहुंचने के कारण बैठक को एक बार फिर निरस्त कर दिया गया। साथ ही आगामी बैठक की तारीख भी नहीं दी गई। समिति अध्यक्ष द्वारा भी बैठक की सार्थकता को लेकर अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है।
पिछली बैठक में डिप्टी कमिश्नर और जांच समिति सचिव योगेन्द्र पटेल, जांच समिति अध्यक्ष दुर्गा शक्तिसिंह चौधरी, सदस्य शिवेन्द्र तिवारी, योगेश्वरी राठौर, जितेन्द्र कुंवाल शामिल हुए। एक सदस्य सुगन वाघेला किसी कारणवश अनुपस्थित रहीं। बैठक में एमआईसी सदस्यों ने स्ट्रीट लाइट खरीदी की फाइल अधिकारी को पेश करने को कहा। इस दौरान उपयंत्री आनंद भंडारी ने कहा कि फाइल लेकर नहीं आ पाये। उपयंत्री भंडारी ने कहा कि फाइल स्मार्ट सिटी कार्यालय में पड़ी हुई है।
अध्यक्ष दुर्गा शक्तिसिंह चौधरी सहित अन्य सदस्यों ने कहा कि मामले की जांच करना है, फाइल लाना आवश्य है। इसके बाद जांच उपसमिति के सदस्यों ने नगरनिगम द्वारा स्ट्रीट लाइट संधारण कार्य के किये गये भुगतान की फाइल के बारे में पूछा तो निगम अधिकारियों की ओर से यही जवाब मिला कि इस फाइल को भी नहीं लाये हैं। जबकि यह फाइल निगम कार्यालय में ही पड़ी हुई है। अधिकारियों की टालमटोली को देखते हुए स्ट्रीट लाइट जांच उपसमिति की बैठक बिना किसी निर्णय के निरस्त कर दी गई।
आगे की बैठक की तिथि का निर्धारण नहीं किया
10 दिसम्बर को आयोजित बैठक में सचिव योगेन्द्र पटेल ने अधिकारी कर्मचारियों के अन्य कार्यों में व्यस्त होने की बात कहकर इस बैठक को भी निरस्त करवा दिया। इसके साथ ही आगामी बैठक के लिये तारीख भी नहीं दी, ऐसे में समिति के सदस्य अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। अध्यक्ष महोदया की चुप्पी भी दूसरी ओर इशारा कर रही है। ज्ञात रहे कि जब जलसंकट को लेकर विशेष सम्मिलन का आयोजन हुआ था, तब भी अध्यक्ष महोदया बैठक से नदारद थीं। ज्ञात रहे कि महापौर ने एमआईसी की बैठक में स्ट्रीट लाइट खरीदी की जांच 1 माह में पूर्ण करने के निर्देश दिये थे।
संधारण में 66 लाख खर्च का मुद्दा भी उठना है
शहर में करीब 26 हजार स्ट्रीट लाइटें लगाई गई हैं। स्मार्ट सिटी द्वारा इनकी खरीदी की गई थी। लेकिन गुणवत्ता के आधार पर यह कमजोर पाई गई। दोनों ही पार्टियों के पार्षदों द्वारा बिना सदन की स्वीकृति के 66 लाख रुपये व्यय करने की शिकायत समिति से की थी।
ज्ञात रहे कि स्ट्रीट लाइट के संधारण कार्य में स्मार्ट सिटी के द्वारा अपने हाथ खींच लेने के कारण संधारण का कार्य नगरनिगम को अपने मद से करवाना पड़ रहा है। लिहाजा अभी तक संधारण कार्य के लिये निगम को 66 लाख रुपये अभी तक अपनी जेब से खर्च करना पड़े हैं। जबकि यह कार्य ईईसीएल नाम की कंपनी को करना चाहिये।