दोपहर 1 बजे हुई भोग आरती, हर दिन होगा अलग शाृंगार
उज्जैन, अग्निपथ। भगवान महाकाल के आंगन में महाशिवरात्रि पर्व की शुरुआत बुधवार से हो गई । सुबह कोटितीर्थ कुंड के पास स्थित कोटेश्वर महादेव की विशेष पूजन के बाद भगवान महाकाल को चंदन का उबटन लगाकर इसकी शुरूआत हुई। अब शिवरात्रि तक महाकाल के अलग-अलग स्वरूप में श्रृंगार के अलावा मंदिर में पूजन अर्चन भी होगा।
कोटितीर्थ स्थित कोटेश्वर महादेव मंदिर में भगवान कोटेश्वर रामेश्वर का पूजन अभिषेक शासकीय पुजारी पं. घनश्याम शर्मा द्वारा 11 ब्राम्हणों के साथ किया गया। पुजारी प्रदीप गुरु ने बताया सबसे पहले भगवान गणेश अंबिका पूजन हुआ। इसके पश्चात षोडशोपचार पूजन, रूद्राभिषेक के बाद वरूणी पूजन विधि सम्पन्न हुई। कोटेश्वर महादेव मंदिर में पूजन विधि के बाद भगवान महाकालेश्वर को चंदन का उबटन लगाकर विशेष श्रृंगार किया गया।
अगले 9 दिनों तक मंदिर प्रांगण में भगवान महाकाल के विवाह का उत्सव मनेगा जिसके अंतर्गत प्रतिदिन भगवान के अलग-अलग स्वरूपों में श्रृंगार होगा और शिवरात्रि पर महाकाल दूल्हा बनेेंगे। अगले दिन सेहरा श्रृंगार के बाद भक्तों को महाकाल दूल्हे के रूप में दर्शन देंगे। वर्ष में एक बार दोपहर में इसी दिन भस्मार्ती होगी।
11 ब्राह्मणों ने किया पाठ
गर्भगृह में सुबह से पंडित घनश्याम शर्मा के निर्देशन में 11 ब्राह्मणों द्वारा लघु रुद्र एकादश एकादशनी का पाठ किया गया। दोपहर 1 बजे भगवान महाकाल की भोग आरती की गई जिसमें भगवान को नैवेद्य अर्पण किया गया।
भस्म आरती में भी लगी हल्दी
भस्म आरती में भगवान महाकाल को हल्दी लगाकर आकर्षक श्रंगार कर भस्म आरती की गई। दोपहर 3 बजे संध्या कालीन पूजन के तहत आकर्षक श्रंगार किया गया।
प्रतिदिन शिव कथा हरि कीर्तन
शिव नवरात्रि पर्व शुरू होते ही इंदौर के नारदीय शिव कथा हरि कीर्तन कथाकार रमेश कानडक़र द्वारा मंदिर प्रांगण स्थित चबूतरे पर पूर्व की तरह बुधवार से नारदीय शिव कथा हरि कीर्तन करना प्रारंभ कर दिया गया है। यह शिवरात्रि तक प्रतिदिन शिवरात्रि चलेगा।