शिप्रा में मिल रहे गंदे नाले मेें उतरे संतजन

13 अखाड़ों के संतों ने निरीक्षण के बाद जताया विरोध, सरकार से कार्रवाई की मांग

उज्जैन, अग्निपथ। मोक्षदायिनी मॉ शिप्रा के जल में शहर के करीब 13 नालों की गंदगी के साथ ही इंदौर रोड स्थित होटल एण्ड रिसॉर्ट का सिवरेज पानी व अन्य गंदगी सीधे मिल रही है। स्थानीय अखाड़ा परिषद से जुडें 13 अखाड़ों के साधु-संतों ने मौका निरीक्षण करने पर पाया कि शिप्रा का जल अत्यधिक प्रदूषित होकर घाटों के आसपास भारी मात्रा में कचरा व गंदगी व्याप्त है। ये जल स्नान, आचमन तो दूर पास खड़े होकर पूजन करने लायक भी नहीं बचा है।

स्थानीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत डॉ. रामेश्वर दास, महामंत्री श्रीमंहत रामेश्वर गिरी महराज के साथ ही अन्य पदाधिकारी एवं संत गणों ने निरीक्षण उपरांत शाम 5 बजे कलेक्टर ऑफिस पर कलेक्टर सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाकात की। संतों ने सवाल किया कि आखिर क्या कारण है कि वर्षों पुरानी शिप्रा में नाले मिलने कि समस्या प्रशासन द्वारा दूर नहीं करवाई जा रही।

जबकि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग नगर निगम उज्जैन अंतर्गत शिप्रा शुद्धीकरण के नाम से पृथक अधिकारी व कर्मचारियों की बडी संख्या में नियुक्ति कि हुई है। इसमें पदस्थ सहायक यंत्री राकेश वास्कले व ईई पीएचई नरेंद्र भास्कर द्वारा प्रतिदिन शिप्रा नदी कि मॉनिटरिंग किए जाने के दावे किए जाते है, लेकिन हकीकत इससे विपरित है।

सभी-साधु संतों ने मंछामन एसटीपी, भूखी माता, लालपुल, ऋणमुक्तेश्वर घाट पर शिप्रा नदी में खुले आम मिल रहे नालों एवं व्याप्त गंदगी को स्वयं पानी में उतरकर देखा तो इस दुर्दशा ने सभी को व्यथित कर दिया। आगामी समय में सिंहस्थ महापर्व आयोजित होना है साथ ही वर्षभर विशेष पर्वो पर शिप्रा में स्नान-पूजन होता है, लेकिन जल कि शुद्धता कि और किसी का ध्यान नहीं है, यह बेहद चिंताजनक स्थिति है।

स्थानीय अखाडा परिषद ने कलेक्टर के माध्यम से मप्र सरकार, जिला प्रशासन को आगाह किया कि तत्काल इन नालों को शिप्रा नदी में मिलने से रोका जाएं एवं भूखी माता घाट से सिद्धनाथ घाट तक तत्काल गंदगी हटवाई जाएं। ताकि श्रद्धालुओं की धार्मिक आस्था एवं भावनाएं आहत न हो।

होटलों की गंदगी सीधे मिल रही है शिप्रा में

स्थानीय अखाड़ा परिषद के साधु-संतों ने स्वयं इंदौर रोड स्थित होटल विक्रमादित्य, होटल मित्तल एवेन्यू, केजीसी, पार्क पैलेस, होटल इंपीरियल व सालिटियर के पिछले भाग में जाकर देखा तो पाया कि इन संचालकों ने अपने यहां के सिवरेज के पाईप नदी की ओर छोड़ रखें हैं। किसी भी होटल में स्वयं के एसटीपी यूनिट स्थापित नहीं है। ऐसें में उक्त होटलों पर तत्काल सीलबंदी कि कार्रवाई की मांग की गई।

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