किसानों को भारी नुकसान, अच्छे भाव नहीं मिलने से फसल फेंकने को मजबूर
उज्जैन, अग्निपथ। इस बार मध्यप्रदेश में टमाटर की बंपर आवक हुई है। इस वजह से किसानों को अपनी फसल के उचित दाम नहीं मिल रहे हैं। हालांकि इसका फायदा ग्राहकों को मिल रहा है। उज्जैन में खेरची में लोगों को 10 से 15 रुपये किलो टमाटर मिल रहे हैं। जिसका उपयोग सलाद और सब्जी में डालने में किया जा रहा है।
कृषि विज्ञान केंद्र, शाजापुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक एसएस धाकड़ ने बताया कि इस बार राज्य में अच्छी बारिश हुई और जनवरी-फरवरी में ओलावृष्टि या शीतलहर की समस्या नहीं आई। इसके परिणामस्वरूप टमाटर की पैदावार में जबरदस्त वृद्धि हुई है। प्रदेश के शिवपुरी, छिंदवाड़ा, सागर, सतना, दमोह, रायसेन और अन्य टमाटर उत्पादक जिलों में बंपर फसल हुई है। कई जगहों पर खेतों और नेट हाउस में टमाटर की पैदावार रिकॉर्ड स्तर तक पहुंची है, जिससे मंडियों में टमाटर की आपूर्ति बहुत ज्यादा हो गई और कीमतों में गिरावट आई।
उज्जैन में 2-5 रुपए किलो टमाटर: उज्जैन में टमाटर के थोक भाव 2 से 5 रुपए किलो तक हैं। बड़ी और अच्छी क्वालिटी का टमाटर फुटकर में 10 से 15 रुपए किलो बिक रहा है, जबकि छोटी साइज के टमाटर का रेट 5 रुपए किलो तक गिर गया है। आसपास के जिलों से भारी मात्रा में टमाटर उज्जैन पहुंच रहा है, जिससे किसानों को लागत निकालने में भी परेशानी हो रही है।
लागत बढऩे के बावजूद कीमत नहीं: मध्यप्रदेश में पिछले दो सालों में टमाटर का उत्पादन लगभग 5 लाख मीट्रिक टन बढ़ चुका है। 2022 में जहां 32.73 मीट्रिक टन उत्पादन हुआ था, वहीं 2024 में यह बढक़र 36.94 लाख मीट्रिक टन हो गया है। हालांकि, लागत बढऩे के बावजूद किसानों को इसकी उचित कीमत नहीं मिल रही है।
एक हेक्टेयर में टमाटर उत्पादन की लागत 88-90 हजार रुपए होती है, जबकि इस समय कई किसान अपनी फसल का उत्पादन खर्च भी नहीं निकाल पा रहे हैं। मध्यप्रदेश का टमाटर न केवल देश के विभिन्न हिस्सों, जैसे दिल्ली, अहमदाबाद, नासिक, मुंबई, कोलकाता तक पहुंचता है, बल्कि नेपाल और बांग्लादेश तक भी निर्यात किया जाता है। इसके अलावा, महाराष्ट्र के निर्यातक कारोबारी मध्यप्रदेश से टमाटर खरीदकर दुबई, मॉरीशस और वियतनाम तक भेजते हैं।