उज्जैन, अग्निपथ। महाकाल मंदिर में कोरोना के बढ़ते कदमों को रोकने के लिए ऐतिहाती कदम उठाए जा रहे हैं। मंदिर प्रांगण बंद कर दिए जाने को लेकर छोटे मंदिरों के पुजारियों में आक्रोश है। रंगपंचमी तक कलेक्टर ने मंदिर प्रांगण बंद किए जाने को लेकर इसे बंद कराया था। इसके बाद इसे खोल दिया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया है। रंगपंचमी के दूसरे दिन शनिवार को भी मंदिर प्रांगण बंद रहा।
कोरोना का हल्ला होते ही सबसे पहले महाकालेश्वर मंदिर की व्यवस्थाओं में परिवर्तन कर दिया गया। आनलाइन बुकिंग 12000 से घटाकर 850 कर दी गई। इसी तरह आरती में भी श्रद्धालुओं को खड़ा करना बंद कर दिया गया। यहां पर एकत्रित भीड़ से कोरोना फैलने की संभावना बनी हुई थी। इसी तरह मंदिर प्रांगण को भी पिछले सप्ताह के सोमवार धुलेंडी पर बंद कर दिया गया था।
कलेक्टर आशीषसिंह के मौखिक आदेश के बाद तहसीलदार पूर्णिमा सिंगी ने इसको बंद करवा दिया था। लेकिन रंगपंचमी के दूसरे दिन शनिवार को भी जब मंदिर प्रांगण को बंद ही रहने की सूचना पंडे पुजारियों को मिली तो उन्होंने मीडिया कर्मियों को सूचना देकर अपना आक्रोश जताया। उनका कहना था कि पिछले वर्ष की ही तरह इस बार भी कोरोना का नाम लेकर जिला प्रशासन मंदिर प्रांगण बंद करने के पक्ष में नजर आ रहा है। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष मार्च माह से मंदिर को लॉकडाउन कर दिया गया था।
8 जून को मंदिर तो श्रद्धालुओं के लिए खोला गया था। लेकिन मंदिर प्रांगण को ऐसे ही बंद रखा गया था। कुछ माह पूर्व ही मंदिर प्रांगण को खोला गया था, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के कारण फिर से इसको धुलेंडी पर बंद कर दिया गया।
पुजारी-पुरोहितों की कमर टूटी
मंदिर प्रांगण में करीब 48 छोटे बड़े मंदिर हैं। इनमें मुख्य रूप से जूना महाकाल, नवग्रह, अनादिकल्पेश्वर, स्वप्नेश्वर, बृहस्पतेश्वर, भद्रकाली, साक्षी गोपाल, सिद्धि विनायक बड़े मंदिरों की श्रेणी में आते हैं। इसके अलावा भी कई छोटे मंदिर के पुजारियों ने अपनी अर्थ व्यवस्था को लॉकडाउन के बाद संभाला था। लेकिन एक बार फिर से मंदिर प्रांगण को बंद कर देने के कारण उनको परेशानी सताने लगी है। मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या भी सीमित कर दिए जाने के कारण इनको रूद्राभिषेक सहित अन्य पूजा पाठ करवाने के लिए श्रद्धालु नहीं मिल रहे हैं। किसी तरह से यह मंदिर आकर अपना रूटीन पूरा कर रहे हैं।
बाहरी की ऑनलाइन अनुमति हो बंद
महाकालेश्वर मंदिर में मप्र के अलावा भी पूरे देश के श्रद्धालु कोरोना की लहर फैलने के बावजूद मंदिर में दर्शन के लिए आ रहे हैं। ऐसे श्रद्धालुओं की आनलाइन बुकिंग बंद कर दी जाना चाहिए। केवल प्रदेश के श्रद्धालुओं को ही मंदिर में प्रवेश की पात्रता सुनिश्चित करना होगी। हालांकि प्रदेश में भी कोरोना अपनी बाहें पसार रहा है, लेकिन अन्य प्रदेशों के श्रद्धालुओं से संक्रमण की संभावना अधिक रह सकती है। ऐसे में केवल प्रदेश के श्रद्धालुओं को आनलाइन बुकिंग के लिए तरजीह दी जाए तो ठीक रहेगा।