कोरोना के बढ़ते मामलों के दौरान मरीजों के लिए जरूरत बढऩे पर प्रशासन रख रहा था निगरानी
उज्जैन, अग्निपथ। कोरोना महामारी की चरम अवस्था में गंभीर प्रकृति के मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने में जिला प्रशासन ने अपनी पूरी जी जान लगा दी थी। अब गंभीर प्रकृति के मरीजों की संख्या अस्पतालों में कम हो गई है। ऑक्सीजन सिलेंडर की आवश्यकता ना के बराबर है। लिहाजा ऑक्सीजन सप्लाई के नोडल अधिकारी और निगमायुक्त क्षितिज सिंघल ने ऑक्सीजन प्लांट संचालकों को अपने दायित्व से मुक्त कर दिया है। हालांकि महाकालेश्वर मंदिर के कर्मचारी अभी भी दायित्व से मुक्त नहीं हुए हैं, लेकिन कुछ दिनों के बाद उनको भी फ्री कर दिया जाएगा।
अप्रैल और मई माह में शहर में ऑक्सीजन के जबरदस्त किल्लत मची हुई थी। शहर के सरकारी अस्पताल माधव नगर, जिला अस्पताल, चरक अस्पताल सहित शहर के निजी अस्पतालों में भर्ती गंभीर प्रकृति के मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं हो पा रही थी। इस दौरान कई निजी अस्पतालों ने मरीजों के परिजनों से ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था करने को कह दिया था। लिहाजा जिला प्रशासन को जब इसकी जानकारी मिली तो उसने दो अस्पतालों को नोटिस देकर पेनल्टी भी वसूल की थी।
जिला प्रशासन ने ऑक्सीजन रिफिलिंग प्लांट इंदौर स्थित आदर्श ऑक्सीजन प्लांट, ताजपुर और राघौ पिपलिया के ऑक्सीजन प्लांट पर नजर रखने के लिए महाकालेश्वर मंदिर के 2 दर्जन से अधिक कर्मचारियों को लगा दिया था। जोकि प्लांट से वाहन में बैठकर आपूर्ति स्थल तक आते थे और वापस प्लांट तक जाते थे। प्लांट से निकलते वक्त अपनी लोकेशन ऑक्सीजन सप्लाई के नोडल अधिकारी और निगमायुक्त क्षितिज सिंघल द्वारा बनाए गए व्हाट्सएप ग्रुप पर ऑनलाइन वीडियो कॉलिंग कर अपनी लोकेशन बता कर ही निकलते थे।
इसमें ऑक्सीजन प्लांट के संचालक, महाकालेश्वर मंदिर के कर्मचारी और जिला प्रशासन के राजस्व अधिकारी भी जुड़े रहते थे। इस तरह से जिला प्रशासन ने ऑक्सीजन सिलेंडरों की सप्लाई पर निरंतर निगाह रखी और अंतत: गंभीर प्रकृति के मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध हो पाई।
बधाई देकर लॉग आउट हुए
कोरोना महामारी का मुश्किल दौर अब समाप्त हो चुका है। ऑक्सीजन सिलेंडर अब लोगों को आसानी से उपलब्ध हो पा रहे हैं। इसका पूरा श्रेय जिला प्रशासन को जाता है विशेषकर कलेक्टर आशीष सिंह और ऑक्सीजन सप्लाई के नोडल अधिकारी और निगमायुक्त श्री सिंघल को, जिन्होंने अपनी दूरदर्शिता का परिचय देते हुए कोरोना महामारी के मुश्किल दौर में ऑक्सीजन सप्लाई पर नजर रखकर इसकी उपलब्धता गंभीर मरीजों के लिए सुनिश्चित की। अब ऑक्सीजन सप्लाई पर नजर रखने के लिए बनाए गए ग्रुप से निगमायुक्त सिंघल ने यह कहते हुए लॉगआउट किया कि…. अब आप फ्री, थैंक यू फॉर कॉपरेशन।
महाकालेश्वर मंदिर कर्मचारियों को वापस बुलाया जाए
कोरोना महामारी के गंभीर दौर में महाकालेश्वर मंदिर के 2 दर्जन से अधिक कर्मचारियों ने निरंतर ऑक्सीजन प्लांट पर अपना दायित्व निभाते हुए इसकी सप्लाई पर नजर रखी और अंतत: गंभीर प्रकृति के मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध हो पाई। अब जब निगम आयुक्त द्वारा ऑक्सीजन प्लांट संचालकों को दायित्व से मुक्त कर दिया गया है तो अब महाकालेश्वर मंदिर कर्मचारियों को भी मंदिर प्रबंध समिति द्वारा ड्यूटी से वापस बुला लेना चाहिए, क्योंकि प्लांट पर लगाए गए कलेक्टोरेट और ट्रेजरी के कर्मचारियों को भी जिला प्रशासन द्वारा वापस बुला लिया गया है।