झाबुआ। यूपीएससी जैसी बड़ी परीक्षा की तैयारी करने वाले विद्यार्थी दिल्ली में मुख्य रूप से लायब्रेरी का ही सहारा लेते हंै। वहां एक अच्छे माहौल में वे अपनी पढ़ाई प्रतिदिन जारी रखते हैं और फिर चयनित होने के बाद देश को एक बेहतर प्रशासन देने में लग जाते है। दिल्ली की तर्ज पर ही झाबुआ में भी अब आधुनिक लायब्रेरी बनाने की तैयारियां चल पड़ी है। इस मामले में जिले के 45 वें कलेक्टर बने सोमेश मिश्रा रूचि ले रहे हंै। पुराने कलेक्टोरेट कार्यालय को अब शहर की शान बनाने में लग गए हैं। इसके लिए प्रस्ताव भी भोपाल भेज रहे हैं।
गौरतलब है कि आजादी के पूर्व झाबुआ रियासत की बागडोर राजा दिलीपसिंह के हाथों में रही। उन्होंने 1944-45 में विभिन्न गतिविधियों के लिए एक भवन झाबुआ की प्रवेश सीमा पर बनाया। जिसका नाम दिलीप क्लब रख दिया गया। 1956 में जब झाबुआ को जिले का दर्जा मिला तो इसी भवन में कलेक्टर कार्यालय चला। बाद में कई तरह की रचनात्मक गतिविधियों का दिलीप क्लब समय-समय पर केंद्र बनता रहा। पिछले कुछ समय से यह उपेक्षा का शिकार हो रहा था।
जिले के युवा कलेक्टर मिश्रा ने इसी वर्ष 11 अप्रैल को भोपाल से झाबुआ आकर कार्यभार ग्रहण किया। उस समय कोविड का कहर जोरों पर था। 25 प्रतिशत से अधिक संक्रमण दर बनी हुई थी इसलिए पहली प्राथमिकता कोविड ही रहा। अब कोविड काबू में आ चुका है। संक्रमण दर भी एक प्रतिशत से भी बहुत नीचे चली गई है। ऐसे में 45वें कलेक्टर की निगाह अन्य विकास कार्यों पर तेज हो गई हैं। वे दिलीप क्लब का पिछले दिनों अवलोकन कर चुके हैं। यह स्थान उन्हें रास आया है और अब उसको लेकर पूरी योजना बना रहे है।
यह है योजना का खाका-कलेक्टर मिश्रा की प्राथमिकता कोविड व टीकाकरण के अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य सहित अन्य क्षेत्र है। पर्यटन को मजबूत बनाने के साथ ही वे दिलीप क्लब प्रांगण को शहर के एक प्रमुख स्थान के रूप में विकसित करने की कार्य योजना पर ध्यान दे रहे हैं। फिलहाल वहां शिक्षा विभाग का वाचनालय चल रहा है लेकिन वह औपचारिक ही है।
मिश्रा इस वाचनालय को आधुनिक बनाने के साथ ही प्रांगण में बने मंच पर विद्यार्थियों के लिए विभिन्ना प्रतियोगिताएं करवाना चाहते हैं। वाचनालय में बैठकर विद्यार्थियों को एक अच्छा माहौल देने के अलावा रियायती दर में चाय भी उपलब्ध करवाई जाएगी। इसी प्रांगण में स्केटिंग की सुविधा रखने के अलावा तमाम रचनात्मक गतिविधियों का इसे प्रमुख केंद्र बनाने पर काम चल रहा है। कुल मिलाकर दिलीप क्लब प्रांगण को ऐसा स्वरूप देने के प्रयास किए जा रहे है कि वहां संध्या होते ही शहर के गणमान्य नागरिक जाना पसंद करें। इस संबंध में योजना बनाते हुए अलग-अलग प्रस्ताव भोपाल भेजे जा रहे है।