कलमी, दशहरा, चौसा, लंगड़ा कई वैरायटी के आमों की कई राज्यों में मांग
नलखेड़ा, अग्निपथ। समीपस्थ ग्राम जामुनी के आम इन दिनों देश के कई हिस्सों में खास बने हुए हैं। यहां के कलमी, दशहरा, चौसा, लंगड़ा आम कई प्रदेशों में अपनी पहचान बना चुके हैं। इन आमों की मांग निरंतर बढ़ती ही जा रही है।
किसान लोकेश खंडेलवाल पिछले लगभग 12 वर्षों से आम का उत्पादन कर रहे हैं उन्होंने 3 एकड़ जमीन पर दशहरी, चौसा एवं लंगड़ा सहित विभिन्न किस्मो के आम के बगीचे लगा रखे हैं। इन बगीचों के आम की मांग इतनी रहती है कि प्रतिदिन प्रात: 6 बजे से नगर एवं क्षेत्र के लोग आम खरीदने हेतु उनके घर पर पहुंच जाते हैं।
60 किस्म के आम की पैदावार
खंडेलवाल ने बताया कि अप्रैल से जून तक आम तैयार हो जाते हैं। उनके बगीचे में लगभग 60 आम के पेड़ विभिन्न किस्म के हैं जो कि लगभग 12 वर्ष पुराने हैं जिसमें 4 आम के पेड़ लंगड़ा किस्म की है, जो कि लगभग 50 वर्ष पुराने हैं। इन चारों पेड़ों से लगभग प्रत्येक पेड़ से 10 क्विंटल आम की पैदावार होती है। शेष पेड़ों से लगभग 3 से 4 क्विंटल पैदावार होती है। जिसमें हाइब्रिड किस्म के कलमी आम होते हैं। उन्होंने बताया कि 50 साल पुराने आम के चार पेड़ से एवं बगीचे में स्थित अन्य पेड़ों से उन्हें 65 से 70 क्विंटल आम की पैदावार होती है।
प्रतिवर्ष भावो में रहता है अंतर
लोकेश खंडेलवाल ने बताया कि उनके खेत की बगीचे में स्थित आम के पेड़ों से होने वाली पैदावार को नलखेड़ा सुसनेर सोयत मक्सी उज्जैन इंदौर झालावाड़ कोटा जयपुर आदि स्थानों पर सप्लाय किया जाता है। खंडेलवाल ने बताया कि प्रतिवर्ष आम के दामो में अंतर रहता है इस वर्ष लंगड़ा आम 60 रुपए प्रति किलो, चोसा आम 40 रुपए प्रति किलो के हिसाब से विक्रय हो रहा है
खाकरे के पत्ते में पाल रखकर पकाए जाते हैं आम
लोकेश खंडेलवाल ने बताया कि अच्छी पैदावार होने से उन्होंने नलखेड़ा स्थित अपने स्वयं के निवास पर आम के पाल लगा रखे हैं। खंडेलवाल बताते हैं कि कि आम को देसी पद्धति खाकरे के पत्तों से पकाए जाते हैं जिसके कारण इनका स्वाद बहुत ही स्वादिष्ट एवं मीठा रहता है साथ ही पौष्टिकता भी बरकरार रहती है। इसी कारण इन आमों की नलखेड़ा नगर सहित क्षेत्र व अन्य प्रदेशों में डिमांड बनी रहती है। पिछले दिनों खंडेलवाल को इंदौर उज्जैन एवं अन्य जगहों से व्हाट्सएप के जरिए आम के ऑर्डर प्राप्त हो रही हैं।