मंदिर परिसर विकास : बेगमबाग से हटना शुरू हुए मकान; पहले दिन 8 मकानों के निर्माण रहवासियों ने ही हटाए, कुछ ने जताई आपत्ति
उज्जैन, अग्निपथ। महाकालेश्वर मंदिर परिसर के विस्तार के लिए बेगमबाग क्षेत्र की घाटी पर बने मकानों को हटाने की कार्रवाई शुक्रवार से शुरू कर दी गई है। मंदिर प्रबंध समिति द्वारा जिन 37 परिवारों को 3-3 लाख रुपए अनुग्रह राशि दी गई है, उनमें से 7 से 8 लोगों ने शुक्रवार को अपना सामान हटाकर मकानों को खाली कर दिया।
इस कार्रवाई के बीच कुछ रहवासियों ने पूरी प्रक्रिया पर आपत्ति ली है। ये लोग यहां से हटना नहीं चाहते है और इनका तर्क है कि शासन ने इन्हें यहां पट्टा देकर बसाया था।
मंदिर परिसर के विस्तार के लिए 1.6 हेक्टेयर जमींन मुक्त कराई जाना है। 147 मकानों में रहने वाले 250 परिवारों को मंदिर प्रबंध समिति के जरिए 3-3 लाख रुपए अनुग्रह राशि दिए जाने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद 37 परिवारों के खाते में रुपए डलवा भी दिए गए। जिन परिवारों को रुपए मिले, शुक्रवार सुबह ही उनके मकान खाली कराने नगर निगम की गैंग पहुंच गई।
कुछ रहवासियों ने खुद ही अपने आशियाने तोडक़र सामान सुरक्षित बाहर निकाल लिया और जमींन को खाली कर दिया। शाम करीब 6 बजे कलेक्टर आशीषसिंह भी बेगमबाग क्षेत्र में पहुंचे और मकानों को खाली कराए जाने की प्रक्रिया का निरीक्षण किया। कुछ लोगों ने कलेक्टर आशीषसिंह से बात करने का प्रयास किया लेकिन कलेक्टर ने इन्हें स्पष्ट कर दिया कि अभी जिन लोगों के बैंक खातों में रुपए डाले गए है, केवल उन्हीं के मकान हटाए जा रहे है। अन्य लोगों से अभी किसी तरह की बात नहीं होगी।
संपर्क और समन्वय के लिए बनाई कमेटी
बेगमबाग के जिस क्षेत्र की जमींन खाली कराई जाना है, वहां के रहवासियों की पूरी प्रक्रिया को लेकर कुछ आपत्तियां है। इन आपत्तियों पर प्रशासनिक अधिकारियों के साथ चर्चा के लिए रहवासियों ने 20 सदस्यीय एक कमेटी बनाई है। क्षेत्र में रहने वाले शाकिर खान को इसका प्रमुख बनाया गया है।
कुछ लोग नहीं चाहते हटना
जिला प्रशासन द़्वारा मकान हटाने के एवज में 3-3 लाख रुपए अनुग्रह राशि दिए जाने का प्रस्ताव भी कुछ रहवासियों को ठीक नहीं लग रहा है। ये लोग यहां से हटना नहीं चाहते। कुछ लोगों ने रहवासी संघ का निर्माण कर सुप्रीम कोर्ट में भी मकान हटाए जाने की पूरी प्रक्रिया के खिलाफ अपील की है। सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर सुनवाई के लिए 22 जुलाई की तारीख तय है।
रहवासियों की ये आपत्तियां
- डूब क्षेत्र और सिंहस्थ क्षेत्र से पूर्व के वर्षो में यहां लाकर परिवारों को बसाया गया, तत्कालीन प्रदेश सरकार ने रहवासियों को पट्टे भी प्रदान किए। अब प्रशासन उन्हें पट्टाधारक के बजाए अतिक्रमणकर्ता मान रहा है।
- जिला प्रशासन का दावा है कि क्षेत्र के ज्यादातर रहवासियों ने जमींन मुक्त करने के लिए अपनी सहमति दे दी है, 147 परिवार लिखित में कलेक्टर के समक्ष असहमति जता चुके थे।
- क्षेत्र में निवास करने वाले परिवारों का सर्वे निजी सर्वेयर एजेंसी के जरिए कराया गया, नगर निगम से किसी तरह के नोटिस तक जारी नहीं हुए।
- कोर्ट में मामला है, सुनवाई की तारीख तय हो चुकी है इसके बावजूद प्रशासन मकान हटाने में जल्दबाजी कर रहा है।
- यहां रहने वाले कई पट्टेधारकों के मकानों की कीमत ही अब 20-20 लाख रुपए है। प्रशासन इन्हें केवल 3-3 लाख रुपए देकर हटने को कह रहा है।
इनका कहना
हमने अपनी आपत्तियों से प्रशासनिक अधिकारियों को अवगत करा दिया है। कलेक्टर से भी बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने हमसे बात नहीं की। ज्यादातर परिवार यहां से हटने पर असहमति जता चुके है। कुछ लोग खाते में आए रूपए भी वापस लौटाने पर राजी हो गए है। – मो. शाकिर, बेगमबाग रहवासी संघ प्रमुख