भोपाल/उज्जैन। यह कहानी नहीं, रियल स्टोरी है। उज्जैन ट्रैफिक थाने के हेड कांस्टेबल (384) दयाराम गोंदिया की। वे तीस साल से पुलिस में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन जन्मतिथि ने ऐसी गफलत पैदा की कि आठ साल पहले ही 30 जून को उनके रिटायरमेंट ने दस्तक दे दी।
भागे-भागे दयाराम उज्जैन से 28 जून को गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा के पास पहुंचे और जन्मतिथि की गफलत बताई। यह भी कहा कि चार साल से जन्मतिथि सुधारने की फाइल चल रही है। जिस सरकारी तंत्र और उसकी कार्यशैली पर सवाल उठते हैं, उसी सिस्टम में दयाराम की फाइल तुरंत बुलवाई गई, दस्तावेज देखे गए और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा से बात करके 24 घंटे में निर्णय किया गया।
29 जून 2021 को आदेश जारी हुए, जिसमें जन्मतिथि 15 जून 1959 के स्थान पर 15 जून 1967 लिखी गई। यानी जो दयाराम 30 जून 2021 को रिटायर होने वाले थे, अब 30 जून 2029 को रिटायर होंगे।
दयाराम उज्जैन से आए, वल्लभ भवन गए, दस्तावेज दिखाए, गृहमंत्री ने दखल दिया, तब 24 घंटे में नया आदेश हाथ में मिला; बोले- 30 जून बीत जाती तो कोर्ट का ही रास्ता बचता
दयाराम की जन्मतिथि की फाइल पुलिस मुख्यालय से लेकर कई जगह लंबे समय तक पड़ी रही। न केवल दस्तावेज के वैरीफिकेशन में समय जाया हुआ, बल्कि माध्यमिक शिक्षा मंडल की भी मदद ली गई। लेकिन फिर भी जन्मतिथि नहीं बदली थी। दयाराम बताते हैं कि आनन-फानन में वे 28 जून को वल्लभ भवन पहुंचे और डॉ. राजौरा को तमाम स्थिति बताई। इसी के बाद सिस्टम में पड़ी फाइल निकली। पांचवीं, आठवीं, दसवीं से लेकर तमाम दस्तावेज देखे गए। प्रकरण गृहमंत्री मिश्रा को भेजा गया। मिश्रा ने राजौरा से पूरी जानकारी ली। तुरंत मंजूरी दी और गृह विभाग ने 29 को ही आदेश जारी कर दिए। दयाराम का कहना है कि यदि 30 जून बीत जाती तो सिर्फ अदालत का ही रास्ता बचता। इसमें काफी वक्त लग जाता।
अब 8 साल और महाकाल नगरी की सेवा कर सकूंगा
दयाराम ने कहा कि काफी समय से जन्मतिथि बदलने का इंतजार कर रहा था। जब 30 जून करीब आई तो घबरा गया। भोपाल आया। इतनी जल्दी सबकुछ हो जाएगा, नहीं साेचा था। अब मेरे साथ पत्नी, बेटा-बहू सुकून महसूस कर रहे हैं। महाकाल नगरी की और आठ साल सेवा करने का माैका मिला है। यह जारी रहेगी। मैं अपने सभी वरिष्ठ अधिकारियों का शुक्रगुजार हूं।