उज्जैन, अग्निपथ। मंगलवार को साप्ताहिक जनसुनवाई थी। मगर कलेक्टर नहीं आये। वह मुख्यमंत्री के प्रस्तावित दौरा कार्यक्रम को लेकर व्यस्त थे। इसीलिए जिपं सीईओ को जवाबदारी दी गई थी। वह जनता की सुनवाई करे। अब जनता तो जनता है। जिसके सवाल तीखे होते हैं। जिनको सुनकर जिपं सीईओ को 2 बार आक्रोश आ गया। उ
धर नवागत अपर कलेक्टर भी जनसुनवाई में बैठ गये। जिन्होंने भरण-पोषण अधिनियम को लेकर संवेदना दिखाई। सुनवाई खत्म होने के पहले सेवानिवृत्त डिप्टी कलेक्टर आवेदन लेकर आ गये और उन्होंने दादागिरी दिखाई।
जिपं सीईओ (आईएएस) सुश्री अंकिता धाकरे आज पहली दफा जनसुनवाई में आईं थीं। वह कलेक्टर की गैर हाजिरी में दायित्व निभा रही थीं। जनता को वह खुद बुलाकर, उनकी परेशानी सुन रही थीं।
सबकुछ सामान्य चल रहा था। करीब 1 घंटे बाद, एक फरियादी का आगमन हुआ। आदिम जाति कल्याण विभाग का मामला था। जिपं सीईओ ने आवेदन पढ़ा। जिला संयोजक रंजना सिंह को भी तलब कर लिया। फिर 5 मिनट बाद जिपं सीईओ की आवाज आक्रोश में गूंजी और सभी अधिकारी आश्चर्यचकित रह गये।
समझ नहीं आ रहा…
दरअसल जिपं सीईओ ने फरियादी सरपंच पति रामचंद्र सूर्यवंशी ग्राम नाहरिया के आवेदन को पढ़ते ही जिला संयोजक आदिम जाति को बुला लिया था। सन् 2019 में मांगलिक भवन के लिए स्वीकृत राशि 12 लाख का मामला था। जो कि अभी तक नहीं मिली है। इसी को लेकर फरियादी सवाल कर रहा था। समझाने का सिलसिला जारी था। अचानक ही जिपं सीईओ के आक्रोशित स्वर से सभी का ध्यान आकर्षित हो गया। सीईओ गुस्से में बोल उठी कि … समझ में नहीं आ रहा क्या। इसके लगभग 30 मिनिट बाद फिर एक फरियादी पवन सिंह आक्रोश के शिकार हुए। वह जनभागीदारी कामों पर लगी रोक को लेकर, आवेदन लाये थे। उन्होंने भी सवाल किया। तो जवाब मिला कि … 1 बार पढ़ लिया, समझ में नहीं आता।
आंसू …
जनसुनवाई में नवागत अपर कलेक्टर संतोष टैगोर भी हाजिर थे। जिनके पास पहला ही आवेदन, उनके पुराने परिचित नागदा निवासी मांगूसिंह लेकर हाजिर थे। अपने पुराने दोस्त को देखकर अपर कलेक्टर भी प्रसंन्न हो गये। बीपीएल कार्ड को लेकर आवेदन था। जिसे श्री टैगोर ने अपनी वाकपटूता से सुलझाकर, अपने दोस्त को वापस रवाना कर दिया। इसके बाद उनके सामने एक गरीब महिला रोते-रोते अपना आवेदन लेकर आई।
महिला का दु:ख यह था कि उसको घर में रखने को कोई तैयार नहीं है। उसके आंसू देखकर, तत्काल एक्शन लिया गया। महिला के दामाद को फोन किया गया। महिला ने ही नम्बर दिया था। अपर कलेक्टर ने बात करने के बाद निर्णय लिया। तहसीलदार अभिषेक शर्मा को बुलाया। उनको निर्देश दिये कि … महिला के आवेदन पर भरण-पोषण अधिनियम में प्रकरण दर्ज करके, न्याय दिलाया जाये।
मानदेय …
जनसुनवाई में आज सेवानिवृत्त डिप्टी कलेक्टर की दादागिरी भी देखने को मिली। कारण … आज कलेक्टर नहीं थे। जिसका फायदा उठाकर, सेवानिवृत्त अधिकारी नरेन्द्र राठौर ने जमकर बहस की। जिपं सीईओ ने सहानभूति दिखाई। मंगलनाथ मंदिर प्रशासक पद से हटाये गये श्री राठौर के प्रति। मानदेय नहीं मिलने का मामला था। उनको तहसीलदार अभिषेक शर्मा के पास भेजा। मगर इसके पहले ही पूर्व प्रशासक ने एसडीएम संजय साहू के प्रति… वो कौन होते है… आवेदन रिजेक्ट करने वाले… आदि शब्दों का प्रयोग किया।
इसके बाद तहसीलदार अभिषेक के सामने भी उनका व्यवहार सम्मानजनक नहीं था। समीप बैठे तहसीलदार श्रीकांत शर्मा ने मामले को शांत करना चाहा। लेकिन मानदेय रूकने को लेकर वह लगभग 10 मिनट तक अपनी दादागिरी दिखाते रहे। आखिरकार, समझाने की कोशिश कर रहे तहसीलदार ने समझदारी दिखाई। उन्होंने चुप्पी साध ली। तब श्री राठौर रवाना हो गये।