जेल डीआईजी को प्रहरी और कैदियों ने बताया लडिय़ा अग्रवाल के साथ लेपटॉप लेकर बैठते थे फैक्ट्री में

bhairavgarh jail ujjain

आईटी सेेल ने भी की जांच, पूर्व जेल अधीक्षक से भी पूछताछ

उज्जैन,अग्निपथ। भैरवगढ़ जेल में हैकिंग करवाने के आरोपों की जांच के लिए शुक्रवार को जेल डीआईजी संजय पांडे टीम के साथ आए। उनके समक्ष बंदियों व स्टॉफ ने बयान दिया कि जेलर लडिय़ा और अग्रवाल कारखाने में लेपटॉप लेकर बैठते थे। मामले में पूर्व जेल अधीक्षक को भी बुलाकर पूछताछ की गई।

हैकर अनंत अमर अग्रवाल के जेल में कर्मचारी, अधिकारी व बंदियों द्वारा हैकिंग करवाने के मामले में जेल विभाग भी जांच कर रहा है। इसी के चलते शुक्रवार सुबह डीआईजी पांडे,आईटी सेल अधिकारी टीम के साथ भैरवगढ़ जेल पहुंचे।
डीआईजी पांडे ने जेल स्थित कारखाना प्रभारी मतीन कुरैशी, प्रहरी सुनीता चौहान, ललित मोहन वर्मा व अन्य प्रहरियों के साथ कुछ बंदियों के भी बंद कमरे पूछताछ की।

सूत्रों के अनुसार कुछ कैदियों ने बयान दिया कि जेलर लडिय़ा बंदी अग्रवाल के साथ कारखाने में लेपटॉप लेकर बैठते थे। वहीं कुछ प्रहरियों ने जियो फाइबर का 5-जी डोंगल लेपटॉप में लगाकर काम करना बताया। मामले में डीआईजी ने पूर्व जेल अधीक्षक (फिलहाल इंदौर जेल अधीक्षक) अलका सोनकर को भी तलब कर घटना के संबंध में पूछताछ की।

पड़ताल के दौरान उन्होंने आईटी सेल टीम के साथ बताए गए घटनास्थल कारखाने और अग्रवाल को जिस बैरक में रखा गया उसका भी निरीक्षण किया। डीआईजी पांडे रात तक मामले की जांच करते रहे, लेकिन गोपनीय जांच का हवाला देते हुए इस संबंध में कुछ भी बताने से इंकार कर दिया।

यह लगाए आरोप

सर्वविदित है साइबर क्राइम के प्रकरण में अमर अग्रवाल करीब दो साल भैरवगढ़ जेल में बंद रहा है। फिलहाल भोपाल जेल में बंद अग्रवाल ने भैरवगढ़ जेल के अधिकारियों पर लेपटॉप व इंटरनेट सुविधा मुहैया कराकर लोगों के क्रेडिट कार्ड हैक करने और अधिकारियों के फोन टेप करने का आरोप लगा रखा है।

मामले में राज्य साइबर सेल अज्ञात लोगों पर केस दर्ज कर रखा है। विभाग भी पड़ताल कर रहा है। याद रहे आरोपों के चलते जेलर लडिय़ा, डिप्टी जेलर सुरेश गोयल और प्रहरी ललित को विभाग ने मुख्यालय में अटैच कर दिया है।

साइबर सेल जुटा रहा प्रमाण

सूत्रों के मुताबिक मामले में राज्य साइबर सेल संदिग्धों के कॉल रिकार्ड और बैंक खातों की जानकारी जुटा रही है। हालांकि आरोपों के संबंध में पुख्ता प्रमाण नहीं मिले है। लेकिन यह तय है कि लडिय़ा जेल में लेपटॉप व इंटरनेट का उपयोग करते थे।

हालांकि साईबर सेल डीजीपी योगेश राव देशमुख ने भी कहा वैरिफिकेशन और स्टेंटमेंट एकत्रित होने और विवेचना के बाद स्थिति स्पष्ट होगी। शायद सेल ने इसीलिए नामजद शिकायत होने पर भी अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।

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