कर्मचारी पैर ऊपर करके बैठे रहे, कंप्यूटर मॉडम रहे सुरक्षित
उज्जैन, अग्निपथ। श्रावण-भादौ मास की व्यवस्थाओं के मद्देनजर विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में हाल ही में नया प्रोटोकॉल कार्यालय बनाया गया है। शिफ्टिंग को कुछ घंटे भी नहीं हुए थे कि मंगलवार की दोपहर हुई बारिश ने कार्यालय को अपनी चपेट में ले लिया। बारिश का पानी इस कदर कार्यालय में भरा गया कि कर्मचारियों को पैर ऊपर करके कार्यालय में बैठना पड़ा।
14 जुलाई से श्री महाकालेश्वर मंदिर में सावन भादौ मास शुरू हो रहा है। बारिश का पानी प्रशासनिक भवन के पास स्थित पुराने प्रोटोकॉल कार्यालय में भर गया था और इससे वहां के कम्प्यूटर आदि में भी पानी चला गया था। इसी को मद्देनजर रखते हुए मंदिर प्रशासन द्वारा प्रशासनिक भवन के पास स्थित प्रोटोकॉल कार्यालय को वहां से सोमवार की रात्रि में शिफ्ट कर दिया गया। मंदिर प्रशासन ने फैसिलिटी सेंटर स्थित जूता चप्पल स्टैंड को हटाकर यहां पर तीन कमरों का नया प्रोटोकोल कार्यालय बनाया था।
मंगलवार को दोपहर हुई बारिश ने नए प्रोटोकॉल कार्यालय को भी अपनी जद में ले लिया। ढलान वाली जगह पर प्रोटोकॉल कार्यालय बना दिए जाने के कारण यहां पर बारिश का सारा पानी आकर प्रवेश कर गया। हालत यह थी कि कर्मचारियों को अपने पैरों को कुर्सी के ऊपर रखकर कार्य करना पड़ रहा था। कार्यालय के टिकट काउंटर की खिडक़ी से 1500, 250 और 100 रुपए की टिकट लेने वाले श्रद्धालु खिडक़ी तक जा नहीं पाए। यहां पर घुटनों से उपर पानी भरा हुआ था। फेसिलिटी सेंटर के अंदर से श्रद्धालुओं ने किसी तरह से टिकट खरीद कर भगवान महाकाल के दर्शन किए।
तीन कक्ष में शिफ्ट हुआ कार्यालय
मंदिर प्रशासन ने यहां पर और अधिक सुविधा देने के लिए लोहे के टीन के पतरे से कक्ष बनाए थे। यहां पर 3 कक्ष बनाए गए। जिनमें एक कक्ष में कर्मचारियों और अतिथि श्रद्धालुओं को बैठाने की व्यवस्था थी तो दूसरे कक्ष में 1500, 250 और 100 रुपए की टिकट देने की व्यवस्था की गई थी। वहीं तीसरे कक्ष में मॉडम आदि भेजने की व्यवस्था के लिए कक्ष बनाया गया था। लेकिन यहां पर भी पानी घुटनों के नीचे तक भरा गया था। कर्मचारियों ने किसी तरह से अपना ड्यूटी समय व्यतीत किया।
कोठार गेट से आपातकालीन गेट तक भीग रहे श्रद्धालु
मंदिर प्रशासन ने हाल ही में 250 रुपए शीघ्र दर्शन टिकट और 100 रुपए के प्रोटोकॉल टिकट से दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं के प्रवेश की व्यवस्था आपातकालीन गेट से की है। लेकिन टिकट लेने वाले जब कोठार गेट से पैदल चलते हुए आपातकालीन गेट तक पहुंचते हैं तो बारिश में भीग जाते हैं। मंगलवार को भी यही हाल हुआ। श्रद्धालु बरसते पानी में भगवान महाकाल के दर्शन को भीगते हुए गए। कोठार गेट से लेकर आपातकालीन गेट तक मंदिर प्रशासन यदि टीन के शेड लगाता है तभी श्रद्धालुओं को बारिश के पानी से बचाया जा सकेगा।