उज्जैन, अग्निपथ। स्पीक मैके एवं आईओसीएल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित होने वाली कार्यशालाओ के क्रम में सोमवार को कोलकाता से आए सुप्रसिद्ध सरोद वादक पंडित सोगोतो गांगुली ने उज्जैन के 2 विद्यालयों में अपनी प्रस्तुति दी। प्रथम प्रस्तुति प्रात: 11 बजे शासकीय उमावि संतराम सिंधी कॉलोनी ग्राम हामूखेड़ी पर हुई।
जहां उन्होंने प्रात: कालीन राग लूम, तीन ताल एवं 16 मात्रा में निबद्ध एक बंदिश पहले विलंबित फिर, दूत्र लय में प्रस्तुत कर अपने वादन की शुरुआत की। सरोद के तार झंकृत होते ही माहौल सुरमई संगीत की धुनों में खुशनुमा हो गया। एक के बाद एक पेश बंदिश की जानकारी देते हुए मैहर घराने के अली अकबर खान के सुयोग्य शिष्य पंडित सोगोतो गांगुली ने बताया कि भारतीय संगीत ही सभी संगीतों की जननी है और हमें इसे भावी पीढ़ी के लिए बचा कर रखना है।
उन्होंने आगे छात्र-छात्राओं को बताया कि सरोद वाद्य यंत्र में 25 तार होते हैं और इसकी मधुर स्वर लहरियां मन को झंकृत कर देती हैं। कार्यक्रम के अंत में नरसिंह मेहता द्वारा रचित महात्मा गांधी के प्रिय भजन वैष्णवजन तो तेने कहिए राग खमाज, दादरा ताल एवं 6 मात्रा में बजाकर अपनी प्रस्तुति का सुंदर समाहार किया।
प्रारंभ में अतिथि का स्वागत प्राचार्य देवेंद्र शुक्ला ने किया। स्पीक मैके के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य पंकज अग्रवाल ने बताया कि गांगुली की द्वितीय प्रस्तुति दोपहर 1 बजे भारतीय विद्यालय ज्ञानपीठ परिसर में हुई। बारिश होने के कारण उन्होंने कार्यक्रम की शुरुआत राग गौड़ सारंग झप ताल एवं 10 मात्रा में निबद्ध मैहर घराने की एक बंदिश पहले मध्य लय फिर तीन ताल तीव्र गति में प्रस्तुत की।
उन्होंने छात्र-छात्राओं को बताया कि जैसे अक्षर से शब्द बनते हैं। वैसे ही सात स्वरों से रागों का निर्माण होता है। और रागों में समय का बड़ा महत्व होता है। तबले पर सुसंगत पार्थो प्रतीम दास ने की। कार्यक्रम के अंत में रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा रचित एवं संगीतबद्ध पारंपरिक बंगाली लोक धुन तीन ताल में निबद्ध एकला चलो रे बजाकर अपने कार्यक्रम का सुंदर समाहार करते हुए सरोद वादन से विद्यार्थियों को लुभा लिया। कार्यक्रम का संचालन छात्रा कविता शर्मा ने किया एवं आभार शिक्षिका सुकरुणा गर्गे ने माना।