55 दिन में गोलीकांड, मारपीट, छेड़छाड़ सहित 11 बड़ी घटनाएं
इंदौर, अग्निपथ। 15 सितंबर से बीआरटीएस के दोनों तरफ 24 घंटे दुकानें खुली रखने के मामले में नई चुनौती सामने आ रही है। नाइट कल्चर में 55 दिन में गोलीकांड सहित 11 घटनाएं हो चुकी हैं। डीसीपी संपत उपाध्याय ने बताया कि पूरे बीआरटीएस पर विशेष पेट्रोलिंग टीम को तैनात किया है।
रेस्त्रां के बाहर बेवजह झुंड बनाकर खड़े रहने, सार्वजनिक स्थानों पर सिगरेट पीने, शराबखोरी करने, रात में फालतू घूमने वालों, अपराधी किस्म के युवाओं पर अब पुलिस की सख्ती होगी। थाना एमआईजी, पलासिया और विजय नगर को मंगलवार से ही इस व्यवस्था के तहत सख्ती बरतने के निर्देश दिए हैं। दुकानें भी सिर्फ वही खोल सकेंगे, जिनके पास लाइसेंस है।
युवती पर जानलेवा हमला करने वाली तीनों युवतियां रिमांड पर
बॉयफ्रेंड को लेकर एलआईजी चौराहे पर युवती की पिटाई करने वाली तीन युवतियों को पुलिस ने मंगलवार को कोर्ट में पेश कर 10 नवंबर तक रिमांड पर लिया है। एसीपी भूपेंद्र सिंह ने बताया तीन युवतियां नामजद होने के बाद उन पर धारा 307 (जानलेवा हमला करने) का केस दर्ज किया है। वहीं, इनके दोनों साथी युवाओं को इसमें सहआरोपी बनाया गया है। दोनों युवक और चौथी साथी रिया फरार है। उनकी तलाश की जा रही है।
ना ये इंदौर की संस्कृति है और ना ये लोग हमारे
नाइट लाइफ की आड़ में हो रही नशाखोरी और युवक-युवतियों की मनमानी का अड्डा बन रहा है शहर। ये कारनामे इंदौर के लोगों के नहीं बल्कि बाहर से इंदौर आकर पढ़ाई-नौकरी के नाम पर गुंडागर्दी और नशाखोरी कर रहे युवक-युवतियों के हैं। इंदौर के बच्चे क्या कभी इतना दुस्साहस कर सकते हैं। मां-बाप से पढ़ाई और रोजगार के नाम रुपए ऐंठ कर यहां अय्याशी कर रहे इन नौजवानों ने शहर की तासीर को खराब करने के लिए नाईट कल्चर को हथियार बनाया है।
शहर में नाइट कल्चर इसलिए लागू किया गया था ताकि रात में जॉब करने वाले, परिवार पालने वालों को सुविधा मिल सके। लेकिन अब इसका दुरुपयोग शुरू हो चुका है। नाइट कल्चर के नाम पर हुड़दंग मचाई जा रही है। जिसके लिए यह शुरू किया गया था, वह तो आधी रात को किसी दुकान पर कभी चाय पीने के लिए भी नहीं रुका होगा। ये दुकानें आबाद है तो सिर्फ इन मेधावी छात्रों की वजह है जो नाईट स्टडी करने आधी रात को चौराहों पर पहुंच कर सिगरेट के धुएं का छल्ला बनने के लिए प्रयत्नशील है।
हम नाइट कल्चर की खिलाफत नहीं करते, हम भी शहर को आगे बढ़ते देखना चाहते है लेकिन शहर की संस्कृति के साथ खिलवाड़ हमें बर्दाश्त नहीं होगा। ये सब हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए नुकसानदेह हैं। क्या हम अपने बच्चों को इस खराब हो रही संस्कृति से बचा पाएंगे। यदि ऐसा ही चलता रहा तो माननीय हमें नहीं चाहिए ऐसा नाइट कल्चर। नहीं चाहिए ऐसा विकास जो हमारी आने वाली नस्ल को तबाह कर दे।