देखो.. इस तरह निकालते हैं आं.. हां.. का राग

माच गुरु सिद्धेश्वर सेन द्वारा रचयित राम जानकी विवाह लोकनाट्य के जरिए युवा पीढ़ी को समझाई माच की बारीकियां

उज्जैन, अग्निपथ। माच में लोक गीत के बीच में आं.. हां.. की ध्वनि विशेष रूप से निकाली जाती है और यह ध्वनि ही श्रोताओं की माच में रुचि बढ़ाती है और माच कलाकार को लोकप्रियता की ओर ले जाती है।

इस तरह की बारीकियां शुक्रवार को नवागत माच कलाकारों को समझाई गई। मालव लोक कला केंद्र ने मालवा के लोकप्रिय लोक नाट्य माच की प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया था। 25 मार्च से प्रारंभ हुई कार्यशाला का समापन 31 मार्च को किया गया। अंतिम दिन 31 मार्च को लोक नाट्य माच गुरू सिध्देश्वर सेन द्वारा रचित राम जानकी विवाह लोक नाट्य का प्रशिक्षण देकर नवागत युवा कलाकारों को माच के बारे में समझाया गया।

मालव लोक कला केंद्र की सचिव कृष्णा वर्मा ने बताया कि शुक्रवार शाम को कार्यशाला के समापन पर कलाकारों को प्रमाण पत्र दिया गया। कृष्णा वर्मा ने बताया कि संस्था का मुख्य उद्देश्य बच्चे अपनी विरासत को पहचाने और इसके संरक्षण एवं संवर्धन में सक्रिय भूमिका अदा करें। साथ ही मालव अंचल को लोक नाट्य कला की जानकारी एवं नई दिशा मिले और लोग इसे सीखे भी। माच प्रशिक्षण बाबूलाल देवड़ा तथा सेवाराम मालवी द्वारा दिया गया।

माच की यह बारीकियां समझाई

  • माच के मंचन के दौरान दिये जाने वाले लटके-झटके।
  • ढोलक की थाप के साथ नृत्य का संयोजन
  • माच की थाप पर लोक गीत उठाना
  • लोक गीत के दौरान कहां पर आ..हां.. की ध्वनि के साथ मुंह से राग निकालना
  • पुरूष कलाकार महिला के रोल में किस तरह की भाव भंगिमाएं बनाये
  • महिला बने पुरुष कलाकार को नृत्य लटके-झटके- और गोल घूमकर बैठना।

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