अर्जुन सिंह चंदेल
गतांक से आगे
गूगल देवता बागडोगरा से जयगाँव की दूरी 151 किलोमीटर और समय 3 घंटे 35 मिनट का बता रहा था। हमारी घड़ी की सूईयां 1 बजकर 15 मिनट बता रही थी मतलब लगभग 5 बजे हमें जयगाँव पहुंच जाना चाहिये, परंतु हमे खाना भी तो खाना था तो 1 घंटा और जोडक़र शाम के 6 बजे का अनुमान लगाया गया।
बिना गड्डों वाली चमचमाती सडक़
पश्चिम बंगाल की सरजमीं बागडोगरा से हम निकल पड़े सौभाग्य से हमारी गाड़ी इनोवा का सारथी बहुत ही शालीन नवयुवक था उसने हमें बागडोगरा से भी परिचित करवाया। थोड़ी देर बाद ही फोरलेन चालू हो गया। मीडिया ने हमारे दिमाग में बंगाल की बदहाली की जो तस्वीर बता रखी थी सडक़ों के मामले में तो वह विपरीत निकली। बिना गड्डों वाली चमचमाती सडक़ पर हमारी इनोवा फर्राटें भर रही थी।
आधे घंटे के सफर के बाद हमने हमारे सारथी से किसी अच्छे भोजनालय पर गाड़ी रोकने का बोला। उसने कहा इंतजार कीजिये बागडोगरा से लगभग 25 किलोमीटर बाद उसने राजमार्ग से गाड़ी हटाकर छोटे मार्ग पर डाल दी, लगभग 200 मीटर की ही दूरी पर ही रेस्टोरेन्ट था। वहाँ पर अधिकांश महिला कर्मचारी ही थी।
चीज के साथ आलू की सब्जी
हमने उनसे पूछा यहाँ का स्पेशल क्या है उन्होंने बताया ‘पोटेटो दात्से’ (चीज के साथ आलू की सब्जी) हमने कहा खिलाओ। हम लोगों ने 5 तरह की मिक्स दाल, जिसे हमारे यहाँ पचरंगी दाल कहा जाता है, मिक्स वेज तथा पोटेटो दात्से का आर्डर दिया। घर जैसी चपातियों के साथ स्वादिष्ट भोजन का आनंद लिया, मजा आ गया।
भोजन के मामले में यात्रा की शुरुआत बहुत ही अच्छी रही। बिल भी बहुत किफायती था, मात्र 1200 में हम सभी 6 लोगों ने खाना खा लिया था। लगभग 45 मिनट लग गये थे। हम चल पड़े आगे सफर की ओर हम इस क्षेत्र में जिंदगी में आये तो पहली बार थे पर रास्तें में पडऩे वाले शहरों के नाम रेडियो में सुन रखने के कारण परिचित से लग रहे थे जैसे सिलीगुड़ी, जलपाईगुड़ी, हासीमारा, मायानगरी आद। रास्ते में हरियाली भरपूर थी।
सफर अभी तो मैदानी था अच्छा लग रहा था। शाम की आहट होने लगी थी इस क्षेत्र में 5 बजे तो अंधेरा हो जाता है जो अमूनन हमारे यहाँ 6:30 के आसपास होता है। 5 जनवरी को होने वाला आशियाना नजदीक आता जा रहा था।
हासीमारा का अंतिम भारतीय रेलवे स्टेशन
हमारे सारथी ने बताया कि अब हम हासीमारा के नजदीक से गुजर रहे हैं। जयगाँव यहाँ से मात्र 17 किलोमीटर दूर है। भूटान यात्रा के लिये हासीमारा भारतीय रेलवे का अंतिम रेलवे स्टेशन है। आप हासीमारा तक टे्रन से आकर मात्र 30-40 रुपयों में जयगाँव बार्डर तक पहुँच सकते हैं। क्षेत्र के बारे में सारी जानकारी लेते हुए हमने शाम को 6 बजे के लगभग जयगाँव में प्रवेश कर लिया।
ड्रायवर साहब ने होटल देख रखी थी इसलिये ज्यादा परेशानी नहीं हुई। होटल के रूम बहुत साफ सुथरे और सुविधाजनक थे इस रेट पर तो उज्जैन में ऐसे रूम नहीं मिल सकते हैं। 15-20 मिनट बाद काउंटर पर आकर प्रबंधक बलराम जी से बातचीत की जिन्होंने हमारे जयगाँव आगमन की सूचना उनके भूटानी मित्र को दे दी जो कि हमारे टूर आपरेटर थे।
भूटानी टूर आपरेटर ने टूर का अग्रिम बलराम जी के पास जमा कराने की अनुमति दे दी और बताया कि आप लोगों के साथ रहने वाला गाईड आपके पास थोड़ी देर में पहुँचकर आगे के कार्यक्रम के बारे में समझा देगा। हमने टूर की 1 लाख की अग्रिम राशि जयगाँव में ही जमा कर दी ताकि अपने आपको हल्का महसूस कर सकें।
भूटान 200 मीटर दूर
हम सब हाथ-मुँह धोकर होटल के बाहर आये और रात के भोजन के लिये उचित भोजनालय की जानकारी ली सबने दो भोजनालय के ही नाम बताये जिनमें एक का नाम वेदिका रेस्टोरेन्ट था। हमारी होटल के दांयी ओर 200 मीटर दूर ही गये थे कि भूटान देश हमारे सामने खड़ा था हमारा भूटान देखने का सपना सच हो रहा था।
शेष कल