भूटान यात्रा वृत्तांत भाग-8 : प्रकृति की गोद में बसा ‘थिम्पू’ अपने आप में अनूठा है

अर्जुन सिंह चंदेल

गतांक से आगे
आखिर हम आ ही गये ‘थिम्पू’ बस उजाला जाने ही वाला था। पारंपरिक और बौद्ध शैली में बने घर नजर आने लगे थे। परम्पराओं, विकास और आधुनिकीकरण के बीच संतुलन बनाकर रखने वाले थिम्पू की जनसंख्या साल 2017 की जनगणनानुसार 1 लाख 14 हजार 551 है। क्षेत्रफल 26.1 वर्ग किलोमीटर है यहाँ पर 1 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 4389 लोग बसते हैं। प्रकृति की गोद में बसी भूटान की यह राजधानी अपने आप में कुछ मामलों में अनूठी र्है।

सबसे ज्यादा ऊँचाइयों पर बसी राजधानियों में थिम्पू का नंबर पाँचवा

राजधानी थिम्पू का 70 प्रतिशत क्षेत्र वनों से घिरा हुआ है। संसार की सबसे ज्यादा ऊँचाइयों पर बसी राजधानियों में थिम्पू का नंबर पाँचवा है। दुनिया में ‘बोलीविया’ देश की राजधानी ‘ला पाज’ सबसे ज्यादा समुद्र तल से 11 हजार 942 फीट की ऊँचाई पर स्थित है, दूसरे नंबर पर ‘इक्वेडोर’ देश की राजधानी ‘क्विटो’ समुद्र तल से 9 हजार 350 फीट पर बसी है, तीसरे नंबर पर ‘कोलंबिया’ की राजधानी ‘बोगोटा’ 8 हजार 6 सौ 12 फीट पर है, चौथी ‘इथियोपिया’ की राजधानी ‘अदीस अबाबा’ समुद्र तल से 7 हजार 7 सौ 26 फीट पर है और पाँचवी ‘भूटान’ की राजधानी ‘थिम्पू’ समुद्र तल से 7 हजार 6 सौ 55 फीट पर बसी है।

वांग चू या थिम्पू चू नाम की नदी के किनारे बसी इस राजधानी के घर शुद्ध हवा और साफ घरों के लिये जाने जाते हैं। पूरे थिम्पू शहर को पार करते हुए बहुत ज्यादा ऊँचाई पर हमारी होटल थी जिसका नाम ‘पीस रिसोर्ट’ था। सुंदर एकांत में बसा यह रिसोर्ट नाम के अनुरुप पीसफुल ही था। सूर्यास्त हो चला था हमारा रुकने का स्थान शहर से इतनी दूर था कि हम लोग चाहकर भी मार्केट घूमने नहीं जा सकते थे। सबने मिलकर यही तय किया कि अब आराम ही किया जाय।

कर्मचारियों के आत्मीय व्यवहार ने मंत्रमुग्ध कर दिया

रिसोर्ट में प्रवेश करते ही वहाँ के सारे कर्मचारियों ने हमारा गर्मजोशी से स्वागत किया और वेल्कम ड्रिंक्स दिया। बहुत ही खूबसूरत रिसोर्ट और इमारत से ज्यादा सुंदर वहाँ के कर्मचारियों का आत्मीय व्यवहार जिसने हम सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। स्वागत अधिकारी भी अधेड़ उम्र की आकर्षक व्यक्तित्व की धनी महिला ही थी। हमें बताया गया कि भारत में अभिवादन के लिये उपयोग किये जाने वाले ‘नमस्ते’ शब्द की जगह भूटानी भाषा जोंगखा में नमस्ते को ‘कुजू जंगपो’ कहा जाता है।

हम सभी अपने-अपने कमरों में पहुँचे तो सचमुच तीन सितारा होटल के समकक्ष ही थे, सारे रूम हमारी उम्मीद से कहीं अधिक बेहतर। भूटान की जालिम ठंड अपना रंग जमाने लगी थी, रात को होने वाली ठंड का अभी तो मात्र टे्रलर था। पर पीस रिसोर्ट में सर्दी से निपटने के माकूल इंतजाम थे। लकड़ी के फर्नीचर से बने कमरों में 3-3 रूम हीटर थे जो सर्दी के सितम से दो-दो हाथ करने को तैयार थे। रूम पर आने से पहले ही हमने रात्रि के भोजन का आर्डर दे दिया था क्योंकि हम इतनी दूर रूके हुए थे कि किसी अन्य रेस्टोरेन्ट में खाना खाने जाना संभव ही नहीं था।

बस और टेकराज दोनों ही हमें छोडक़र सुबह 9 बजे मिलने का कहकर जा चुके थे। रिसोर्ट में हमें भारत की ही तरह दाल-चावल, मिक्सवेज उपलब्ध था। दिया बत्ती का समय हो चला था सत्संग के लिये सभी 6 साथी एक ही कक्ष में एकत्र हो गये थे। बाफना के नमकीन के साथ आनंद लिया और 8:30 बजे नीचे डायनिंग हाल में खाना खाने पहुँच गये।
शेष कल

Next Post

फर्जी दस्तावेज से अनुकंपा नियुक्ति पाने वाला पुलिसकर्मी बर्खास्त

Wed Feb 5 , 2025
चार अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ लापरवाही बरतने पर एसपी ने की कार्रवाई उज्जैन, अग्निपथ। पुलिस विभाग में फर्जी शैक्षणिक प्रमाण-पत्र के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति प्राप्त करने पर एक आरक्षक को एसपी ने बर्खास्त कर दिया है। इसके अलावा चार अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्य में लापरवाही, अनुशासनहीनता और अनअधिकृत […]