बिनोद मिल मजदूरों की बस्ती जमींदोज की टेंडर प्रक्रिया पर हाईकोर्ट की रोक

उज्जैन,अग्निपथ। बिनोद मिल मजदूरों की श्रमिक बस्ती हटाए जाने को लेकर टेंडर मंगलवार को हो चुके हैं। परंतु मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने मजदूरों के मकानों को जमींदोज करने करने की कार्रवाई पर आगामी दस दिनों की रोक लगा दी है। मजदूरों की ओर से कांग्रेस के पूर्व पार्षद द्वारा न्यायालय में याचिका लगाकर मांग की गई थी कि दीपावली का त्योहार होने के कारण मानवीय आधार पर इस कार्रवाई को हाल फिलहाल रोका जाए। न्यायालय ने याचिकाकर्ता की मांग को स्वीकार करते हुए टेंडर प्रक्रिया पर रोक लगाने के आदेश दिए है।

सुप्रीम कोर्ट ने मजदूरों को बकाया वेतन का भुगतान करने के निर्देश दिए थे। परंतु मजदूरों को रुपये देने के पूर्व ही उनके आशियाने उजाड़ कर बेघर किया जा रहा है। पिछले एक पखवाड़े से बिनोद मिल के मजदूर अपने आशियाने बचाने के लिए सडक़ों पर उतर कर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इसको लेकर वह कई राजनीतिक नेताओं के घरों पर भी दस्तक दे चुके हैं। परंतु उन्हें कोई सफलता हाथ नहीं लगी। इसके बावजूद मंगलवार को मजदूर बस्ती पर बुलडोजर चलाने के लिए टेंडर संपन्न हो चुके हैं। घर से उजडऩे के भय से मजदूरों की धडक़न लगातार बढ़ती जा रही है।

इधर कांग्रेस के पूर्व पार्षद रवि राय लगातार मजदूरों को हटाए जाने के खिलाफ उनकी लड़ाई सडक़ों पर लड़ रहे थे। जब उन्हें अहसास हुआ कि सडक़ों के साथ मजदूरों की न्याय की लड़ाई को न्यायालय में चुनौती दी जाए। उन्होंने एक याचिका मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ में दायर की थी। बुधवार को न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान रवि राय के अभिभाषक बालेंदु द्विवेदी ने न्यायालय को बताया कि काफी वर्षों से मजदूर बस्ती में रहते आए हैं और दीपावली का त्योहार सिर पर है ऐसे में उनके मकान तोडऩे की कार्रवाई मानवीय आधार पर रोकी जाना चाहिए। न्यायालय ने याचिकाकर्ता की मांग को स्वीकार करते हुए आगामी 10 दिनों के लिए टेंडर प्रक्रिया की कार्रवाई पर रोक लगा दी है।
इधर मजदूरों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने यह कभी नहीं कहा कि मजदूरों को उनकी बकाया राशि का भुगतान जमीन बेचकर किया जाए। न्यायालय ने सिर्फ राज्य सरकार को आदेश दिया था कि मजदूरों को बकाया राशि का भुगतान किया जाए। इस मामले को लेकर मजदूरों का ब्याज सहित करीब 107 करोड़ रुपया बकाया है।

मजदूरों का कहना है कि मजदूरों का भुगतान राज्य सरकार के द्वारा किया ही नहीं गया है और उन्हें घरों से बेदखल करने के लिए टेंडर का आयोजन कर लिया है। इस मामले में मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार के द्वारा इसी वर्ष मंत्रिमंडल की बैठक में 6 एकड़ भूमि बेचकर मजदूरों का बकाया राशि का भुगतान करने का निर्णय लिया गया था। परंतु सरकार केवल तीन बीघा में बसी मजदूर बस्तियों को जमींदोज करने के लिए टेंडर कर रहा है। उन्होंने मांग की है कि मजदूरों के हित में इस टेंडर की कार्रवाई पर रोक लगाई जाए।

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