खबरों के उस पार: चोरी रुके तो प्यास बुझे..!

2250 एमसीएफटी की क्षमता वाला गंभीर डेम अब फिर सूखने की कगार पर है। जब डेम बनाया गया था तब दावा किया गया था कि दो साल भी बारिश नहीं हो तब भी उज्जैन प्यासा नहीं रहेगा, इतना बड़ा डेम तैयार किया गया है। आबादी बढ़ी है अब अब यह डेम दो साल नहीं तो कम से कम एक साल तो पूरे वक्त पानी दे ही सकता है।

हालात यह है कि बारिश के दिनों में अक्टूबर-नवंबर तक तो शहर के अधिकतर क्षेत्रों में शिप्रा से ही जल प्रदाय होता है। गर्मी शुरू होते ही एक दिन छोडक़र जलप्रदाय शुरू कर दिया जाता है। इतनी कटौती के बाद भी जून के आखिरी महीने तक गंभीर डेम खाली हो जाता है। आखिर क्या कारण है कि गंभीर डेम साल मेें पूरे वक्त भी जलप्रदाय का साथी नहीं बन पा रहा है।

इसका जबाव गंभीर डेम के रखवाले ही बेहतर ढंग से दे सकते हैं। जिनकी क्षत्रछाया में हर साल डेम से पानी चोरी होता है। यह पानी आसपास के किसानों को खेती के लिए दिया जाता है और इसके बदले में फसल से अच्छा-खासा हिस्सा भी मिलता है।

कई साल पहले जब यहां पानी की चोरी रोकने के लिए धरपकड़ हुई थी, तो यहां से कई खेतों की ओर जाने वाली अंडरग्राउंड पाइप लाइन पकड़ी गई थी। यह पाइप लाइन ऐसी जगह स्थित है जिनमें साल के 12 महीनों भरपूर पानी होता है। ऐसी मुहिम फिर शुरू किए जाने की दरकार है।

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