विदिशा कुआं हादसे के बाद पानी की समस्या:दो दिन से पानी के इंतजार में बैठे लोग; 8 साल पहले बनी टंकी अब तक चालू नहीं हो पाई, अब ट्यूबवेल लगाने की तैयारी

भोपाल। गंजबासौदा के लाल पठार गांव में हुए हादसे के बाद गम में डूबे लोगों के सामने पेयजल संकट खड़ा हो गया है। इलाके में 60 परिवारों के करीब 350 लोग हादसे के वाले कुएं के पानी पर निर्भर थे, लेकिन अब उसके धंसने के बाद उनके पास दूसरा विकल्प नहीं है। हालांकि करीब 8 साल पहले बनाई गई पानी की टंकी अब भी चालू नहीं हो पाई है। स्थानीय लोगों ने बताया, पाइप लाइन नहीं बिछने के कारण इससे पानी सप्लाई नहीं हो सका। करीब 20 हजार लीटर की क्षमता वाली इस टंकी को दो पंचायतों के लोगों की प्यास बुझाने के लिए इसे बनाया गया था।

प्राइवेट कुएं पर निर्भर
इलाके में प्रशासन की तरफ से यही एकमात्र पानी का साधन था। यह कुआं खेमचंद अहिरवार के घर पर है। उन्होंने बताया कि कुआं छोटा, लेकिन वे किसी को भी पानी भरने से मना नहीं करेंगे। इसके अलावा, यहां इलाके में दूसरा विकल्प नहीं है। ऐसे में अब सभी की प्यास बुझाने के लिए यही एकमात्र साधन बचा है। बस्ती के बाहर एक हैंडपंप है, लेकिन उसके लिए उन्हें काफी चलकर वहां तक जाना पड़ेगा।

कल भी धरने पर बैठी थीं महिलाएं
पानी की समस्या को लेकर महिलाएं घटनास्थल पर जमा हो गई थीं। उन्होंने आरोप लगाए कि कुआं धंसने के कारण अब उनके पास दूसरा साधन नहीं बचा है। प्रशासन को तत्काल पीने और अन्य जरूरत के लिए पानी की व्यवस्था करना चाहिए, लेकिन शनिवार दोपहर तक कोई व्यवस्था नहीं की गई थी।

अब ट्यूबवेल लगाने की तैयारी
लोक निर्माण विभाग ने हादसे के बाद इलाके में ट्यूबवेल लगाने की तैयारी की है। सुबह 11 बजे से ट्रक से मशीनें और पाइप आदि इलाके में भेज दिए गए, लेकिन अब तक उसे लगाना शुरू नहीं हो पाया। लाल पठार गांव महागौर पंचायत में आता है। यहां के सरपंच राजकुमार दांगी का कहना है कि यह टंकी स्वरूप नगर पंचायत में बनी है। हैंडपंप चालू हैं। टंकी के बारे में ज्यादा जानकारी में नहीं है। टंकी के पास हमारे यहां के लोग भी पानी भरने जाते हैं, क्योंकि गांव एक ही है।

स्वरूप पंचायत के सरपंच रामू कुशवाहा का कहना है कि करीब 8 साल पहले यह टंकी लगाई गई थी, लेकिन पाइप लाइन नहीं डालने के कारण टंकी चालू नहीं हो पाई। यहां ट्यूबवेल भी लगे हैं। इसके साथ 5 हजार लीटर की टंकी रखी है। ट्यूबवेल से उसी को भरते हैं। उसी से गांव वालों पानी लेते हैं। अगर पाइप डल जाते, तो लाल पठार में पानी की समस्या हल हो जाती।

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