मिजोरम के पुलिस महानिरीक्षक (हेडक्वार्टर) जॉन नेहलिया ने शनिवार को न्यूज एजेंसी PTI को बताया कि इन सभी पर हत्या की कोशिश और आपराधिक साजिश समेत कई आरोपों के तहत मामला किया गया है। पुलिस ने सोमवार देर रात कोलासिब जिले के वैरेंगटे पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज करवाई।
IG, DIG पर भी FIR
नेहलिया ने बताया कि जिन पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है, उनमें असम पुलिस के IG अनुराग अग्रवाल, DIG देवज्योति मुखर्जी, कछार के SP चंद्रकांत निंबालकर और ढोलई पुलिस स्टेशन के प्रभारी साहब उद्दीन का नाम शामिल है। कछार उपायुक्त कीर्ति जल्ली और कछार डिविजनल वनाधिकारी सनीदेव चौधरी पर भी इन्हीं आरोपों में मामला दर्ज किया गया है।
सोमवार को भड़की हिंसा
दोनों राज्यों में दशकों से सीमा को लेकर विवाद चल रहा है। इसी हफ्ते भड़के विवाद ने नया रूप ले लिया है। सोमवार को इन राज्यों के सीमावर्ती इलाके में हिंसा भड़क गई, जिसमें असम के 6 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है।
गृह मंत्री ने तीन दिन पहले दौरा भी किया था
अतिक्रमण हटाने को लेकर दोनों राज्यों की पुलिस और नागरिकों के बीच ये विवाद शुरू हुआ। इसके बाद हालात बिगड़ते चले गए और दोनों तरफ से लाठी, पत्थरों से हमला शुरू हो गया। गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में असम का दौरा किया था। उनके दौरे के दो दिन बाद यह हिंसा हुई है।
49 साल से चला आ रहा विवाद
- मिजोरम 1972 में केंद्रशासित प्रदेश और 1987 में एक राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। तब से ही मिजोरम का असम के साथ सीमा विवाद चल रहा है।
- असम के बराक घाटी के जिले कछार, करीमगंज और हैलाकांडीए और मिजोरम के तीन जिलों आइजोल, कोलासिब और मामित के साथ 164 किलोमीटर लंबी बॉर्डर साझा करते हैं।
- पहले असम के कछार जिले में जिस इलाके को लुशाई हिल्स के नाम से जाना जाता था, उसे ही मिजोरम का दर्जा दे दिया गया।
- 1933 की अधिसूचना के जरिए लुशाई हिल्स और मणिपुर का सीमांकन किया गया था।
- मिजोरम का ऐसा मानना है कि यह सीमांकन 1875 की अधिसूचना पर आधारित होना चाहिए।
- मिजो नेताओं का कहना है कि 1933 में मिजो समाज से सलाह नहीं ली गई थी। इसलिए वे लोग इस अधिसूचना के खिलाफ हैं।
- दूसरी ओर असम सरकार 1933 की अधिसूचना का ही पालन करती है।