रुनिजा (बडऩगर), अग्निपथ। शासन द्वारा संचालित शासकीय विद्यालयों की हालत आज इतनी दयनीय और हो चुकी है कि गरीब से गरीब व्यक्ति भी अपने बच्चों को कर्ज करके किसी प्राइवेट विद्यालय में पढ़ाने का सपना देखता है। शासन प्रशासन स्तर पर शिक्षा के क्षेत्र में जो सुधार होना चाहिए वह सुधार आज तक नहीं हुए हैं। नए- नए प्रयोग कर शासकीय विद्यालयों की स्थिति और दिन पर दिन बिगड़ती जा रही हैं। 2019 – 20 में कोरोना के चलते विद्यालय पूरी तरह से बंद थे। और छात्रों को कभी मेरा विद्यालय मेरा घर, तो कभी मोहल्ला क्लास के नाम पर जरूर थोड़ा बहुत शैक्षणिक कार्य शासन करवाने का प्रयास किया लेकिन वह भी ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुआ और अंत में शासन को बड़ी कक्षा के छात्रों को जनरल प्रमोशन देना पड़ा।
1 सितंबर से विद्यालय में कोरोना गाइड लाइन नियमो का पालन करते हुए अध्ययन कार्य कराने के आदेश शासन ने जारी कर दिए है। और इसी के चलते नई शिक्षा स्थानान्तर नीति को लागू कर पूरे प्रदेश में स्वैच्छिक एवं प्रशासनिक स्तर पर थोक बंद शिक्षकों के स्थानांतरण किए जा रहे हैं। इसे में कई विद्यालय मैं शिक्षक की कमी हो गई है। और कई विद्यालयों में पूर्व से रिक्त पड़े शिक्षकों के पद वर्तमान नीति के चलते भी नहीं भरे गए हैं। और आज भी रिक्त पदों के सहारे अतिथि शिक्षक व नाम मात्र शिक्षक विद्यालयों में अध्यापन कार्य करवा रहे हैं।
बात रुनीजा संकुल की करें तो रुनिजा संकुल में रुनिजा सहित कुल 15 शासकीय विद्यालय संचालित होते हैं। प्राइवेट विद्यालयों की संख्या अलग है। प्रभारी संकुल प्राचार्य बीएल पाटीदार के अनुसार रूनिजा हायर सेकेंडरी स्कूल में प्राचार्य का पद 2017 से रिक्त हैं। व्याख्याता एवं उच्च शिक्षकों के 9 पद रिक्त है। इस प्रकार अन्य कक्षाओं के पद रिक्त होने पर भी किसी को यहां पदस्थ नही किया गया। कक्षा 6 से 12 तक में 5 शिक्षक कार्यरत है जबकि प्राचार्य सहित 18 पद रिक्त पड़े हुए हैं। वर्तमान स्थानांतरण नीति के चलते इस विद्यालय से न तो किसी शिक्षक का स्थानांतरण हुआ है क्योंकि पहले ही शिक्षक थे ही नहीं तो किसका स्थानान्तर करें बल्कि नए शिक्षक आना चाहिए थे जो इस विद्यालय को प्राप्त नहीं हुए हैं। इसी प्रकार संकुल के खेड़ावदा, बडगावां मालगाड़ी , गजनी खेड़ी, मसवाडिय़ा धार, माधोपुरा आदि पंचायतों के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय में हर जगह पद रिक्त पड़े हैं।