गंभीर जल संकट : 13 साल पुराने हालात बने

गंभीर डेम में चंद दिनों का पानी शेष

उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन शहर गंभीर जल संकट के मुहाने पर आ खड़ा हुआ है। गंभीर में पानी नहीं होने की वजह से हालात गंभीर बन गए है। आने वाले कुछ दिनों में यदि ठीक बारिश नहीं हुई और बांध खाली ही रहा तो आने वाले महीने उज्जैन में 13 साल पुरानी कहानी दोहरा देंगे। 2008 में शहर में सप्लाय के लिए अमलावदाबिका की लाइन डालकर पानी लाना पड़ा था।

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के स्थानीय अधिकारियों से हाल ही में भोपाल इंजीनियर इन चीफ(ईएनसी) कार्यालय द्वारा ताजा हालात पर रिपोर्ट तलब की गई है। इस रिपोर्ट को तैयार करने का काम अभी जारी है। केवल गंभीर बांध ही नहीं, शहर को आसपास के जिन तालाबों से भी वैकल्पिक रूप से पानी मिल सकता था वे भी खाली ही पड़े है।

24 घंटे में आया केवल 4 एमसीएफटी पानी

दो दिन से शहर और आसपास के इलाके में बादलों का डेरा है। हल्की बरसात भी हुई लेकिन बुधवार और गुरूवार के बीच 24 घंटे में गंभीर बांध में केवल 4 ही एमसीएफटी पानी बढ़ा है। बुधवार सुबह बांध में पानी का स्तर 477.35 मीटर और संग्रहित जल 404 एमसीएफटी था। गुरूवार को स्तर बढक़र 477.38 मीटर और संग्रहित जल 408 एमसीएफटी हुआ है।

पानी के लिए 23 करोड़ की प्लानिंग

  • गंभीर बांध में फिलहाल जितना पानी शेष है, उससे एक दिन छोडक़र शहर में सप्लाय की स्थिति में शहर में केवल 3 महीने तक ही सप्लाय किया जा सकता है।
  • उंडासा, साहेबखेड़ी और शिप्रा का पानी मिलाकर एक से दो महीने तक सप्लाय व्यवस्था खींची जा सकती है।
  • इसके बाद शहर पूरी तरह से बोरिंग, कुएं और बावडिय़ों पर डिपेंड हो जाएगा।
  • भले ही दो दिन छोडक़र मिले लेकिन पूरे साल नलों से पानी मिलता रहे, इसके लिए नर्मदा की लाइन ही एकमात्र सहारा रह जाएगी।
  • उज्जैन में उज्जैनी से त्रिवेणी तक की नर्मदा पाइप लाइन पहले से मौजूद है लेकिन इससे मिलने वाला पानी पर्याप्त नहीं होगा।
  • एक और रास्ता निकाला गया है, नईखेड़ी से होकर गुजरने वाली नर्मदा लाइन से लिंक कर गंभीर संववैल तक एक नई लाइन बिछाने का। यह लाइन 9 किलोमीटर लंबी होगी और इसे बिछाने में करीब 23 करोड़ रूपए का खर्च आएगा। इस लाइन के लिए राशि स्वीकृत करने का प्रस्ताव शासन को भेजा भी जा चुका है।

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