उज्जैन, अग्निपथ। आज गणेश चतुर्थी पर्व पर घर-घर भगवान श्रीगणेश की स्थापना की जाएगी। भगवान श्रीगणेश स्वयं अपने आप में एक मुहूर्त हैं, इसलिए भगवान गणेश को विराजित करने में किसी भी प्रकार के मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होगी। शहर के प्रसिद्ध चिंतामन गणेश, बड़ा गणेश, सिद्धि विनायक, मंछामन गणेश मंदिर में भी भगवान का आज जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। पाताल निवासिनी भद्रा सुबह से रात तक होने के कारण भगवान श्रीगणेश का पूजन अर्चन करने वालों को धन लाभ देगी।
ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डब्बावाला के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर श्री गणेश की पार्थिव मूर्ति की स्थापना का महत्व है। साथ ही परंपरा है 10 दिवसीय गणेश उत्सव को मनाने की। इस बार शुक्रवार को चित्रा नक्षत्र, ब्रह्म योग, वणिज करण व तुला राशि के चंद्रमा की साक्षी में श्री गणेश चतुर्थी का पर्व काल मनाया जाएगा।
भद्रा धन लाभ देने वाली
श्री गणेश चतुर्थी पर प्रात: 11.09 से रात्रि 9.59 तक भद्रा रहेगी। भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तुला राशि के चंद्रमा की साक्षी में आने वाली भद्रा पाताल निवासिनी कहलाती है । ऐसी मान्यता है जब भद्रा का वास पाताल लोक में हो तो वह धन लाभ देने वाली शुभ होती है। वैसे गणेश स्थापना में भद्रा का कोई दोष नहीं है। क्योंकि गणेश जी स्वयं मुहूर्त है।
ग्रह गोचर में पांच ग्रह रहेंगे श्रेष्ठ स्थिति में
पंचांग की गणना के अनुसार ग्रह गोचर में परिभ्रमण करने वाले ग्रहों की जो स्थिति है वह श्रेष्ठ बन रही है ऐसी स्थिति का भी संयोग कम ही बनता है जब पांच ग्रह अपनी अच्छी स्थिति में परिभ्रमण करते हो इन पांच ग्रहों में क्रमश: बुध कन्या राशि में , शुक्र तुला राशि में, राहु वृषभ राशि में, केतु वृश्चिक राशि में, शनि मकर राशि में विराजमान रहेंगे। यह स्थिति श्रेष्ठ मानी जाती है बाजार की स्थिति संभालेगी व्यवसाय व्यापार नए आयाम लेगा।
मंगल बुधादित्य योग भी
पर्व काल के दौरान मंगल बुध आदित्य योग भी बन रहा है मंगल बुध आदित्य योग का अर्थ सूर्य मंगल बुध तीनों का एक ही राशि में युति कृत होना। यह योग नए कार्य के आरंभ के लिए श्रेष्ठ बताया गया है।
10 दिन में 8 त्यौहार
10 सितंबर को गणेश चतुर्थी पार्थिव गणेश स्थापना, 11 सितंबर ऋषि पंचमी सर्वार्थ सिद्धि योग, 12 सितंबर सूर्य षष्ठी बलदेव छठ रवि योग, 14 सितंबर राधा अष्टमी, 15 सितंबर चंद्र नवमी, 16 सितंबर तेजा दशमी, 17 सितंबर जलझूलनी एकादशी, वामन जयंती सर्वार्थ सिद्धि योग, 19 सितंबर अनंत चतुर्दशी।