स्कूल चले बच्चे : अभिभावकों में असमंजस, भेजें या नहीं

कुछ अभिभावक स्कूल भेजने के लिए तैयार ताकि पढ़ाई फिर से शुरू करा सकें

उज्जैन, अग्निपथ। छोटे बच्चों यानी एक से पांचवी तक की क्लास 20 सितंबर से शुरू होने जा रही है। इसको लेकर स्कूल संचालकों ने जहां तैयारी शुरू कर दी है। वहीं अभिभावक भी बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर अभी पूरी तरह से तैयार नहीं है। यह बात स्कूल संचालक भी मानने लगे हैं। उनका कहना है कि स्कूल बच्चों और उनके अभिभावकों से संपर्क में बने हुए हैं। परन्तु अभिभावक पूरी तरह से मानसिक रूप से तैयार नहीं है। यह कहा जा सकता है कि अभिभावक दो ग्रुपों मेंं बंट गए हैं। एक स्कूल भेजने वाला और दूसरा स्कूल नहीं भेजने वाला। अब स्कूल संचालकों के सामने भी संकट है। फिर भी दोनों के बीच भरोसा बढऩे से समस्या का समाधान हो सकता है।

इस संबंध में सोसायटी फॉर स्कूल डायरेक्टर के महानगर के सचिव मनीष रावत का कहना है कि अभिभावक दो भागों में बंटा है। एक स्कूल भेजना चाहते हैं। दूसरा स्कूल तो भेजना चाहता है,लेकिन उसके स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है। क्योंकि उसका कहना है कि अभी तीसरी लहर और डेंगू,चिकनगुनिया और वायरल से खतरा बना हुआ है। अगर ऐसे में बच्चों को संक्रमण फैल गया है। वहीं संभागीय अशासकीय शाला संगठन के अध्यक्ष एसएन शर्मा का कहना है कि सरकार के इस निर्णय का वे स्वागत करते हैं। कोरोना संक्रमण का संकट कम होने के बाद से पालक भी चाहते हैं कि स्कूल खुले और बच्चों को पढ़ाई के लिए भेज दें। सभी निजी स्कूल संचालक कोविड नियमों का पालन करेंगे। एक बेंच पर एक ही बच्चे को बैठाया जाएगा। निजी स्कूल संचालक चाहते थे कि स्कूल खुले और बच्चों की पढ़ाई का नुकसान न हो।

फिट इंडिया स्कूल क्विज के शुल्क में छूट

केल विभाग के माध्यम से स्कूलों में फिट इंडिया स्कूल क्विज का आयोजन किया जा रहा है। इसके तहत सभी स्कूलों से दो बच्चों को इस स्पर्धा में भाग लेने के निर्देश दिए गए हैं। इन बच्चों को स्पर्धा में भाग लेने के लिए 225 रुपए का शुल्क देना था। इस शुल्क में कमी की गई है। अपर संचालक लोक शिक्षण धीरेंद्र चतुर्वेदी ने पत्र लिखकर बताया है कि अब केवल पचास रुपए शुल्क ही स्कूलों को देना है। पंजीयन एक सितंबर से 30 सितंबर तक कराया जा सकता है।

यह है गाइड लाइन

  • पचास प्रतिशत उपस्थिति के साथ क्लास शुरू करें
  • कोरोना गाइड लाइन का पूरी तरह से पालन हो
  • 8,10,12 के छात्रों का छात्रावास संचालित कर सकेंगे
  • 11 वीं के विद्यार्थियों के लिए 50 प्रतिशत की संख्या रहेगी
  • स्कूल का स्टाफ को एक डोज अनिवार्य रुप से लगा हो
  • डिजिटल क्लास को बंद नहीं किया जाए।

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