उज्जैन, अग्निपथ। भैरवगढ़ में ओपन जेल बनाने का प्रोजेक्ट दो विभागों के बीच आपसी तालमेल की वजह से उलझ गया है। ओपन जेल के 20 क्वार्टर बनाने के लिए लोक निर्माण विभाग की पीआईयू को काम सौंपा गया है। लेकिन पीआईयू ने अब तक इसका प्राक्कलन ही नहीं भेजा है। जेल विभाग से इसके लिए 1 करोड़ रुपए मंजूर हो चुके है। लेकिन पीआईयू को इसकी जानकारी ही नहीं है।
दरअसल, यह स्थिति जेल और पीआईयू दोनों ही विभागों के अधिकारियों के बीच तालमेल नहीं होने की वजह से बनी है। भैरवगढ़ में मुख्य जेल परिसर के सामने वाले हिस्से में ही ओपन जेल के रूप में जी प्लस टू के 20 क्वार्टर बनाए जाने हैं। इनमें 20 ऐसे कैदियों को रखा जाएगा।
जिनकी एक तिहाई सजा पूरी हो चुकी है। ऐसे कैदियों को ओपन जेल में परिवार के साथ रहने और जेल परिसर में ही आजीविका चलाने की सुविधा दी जाएगी। ओपन जेल के निर्माण का अनुमानित खर्च 3 करोड़ 50 लाख रुपए है। शुरुआती कागजी प्रक्रिया के बाद जेल विभाग से इसके निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई, बजट में राशि का प्रावधान भी कर दिया गया लेकिन इसके आगे प्रक्रिया नहीं बढ़ सकी।
मंगलवार को सांसद की अध्यक्षता में हुई दिशा समिति की बैठक में ओपन जेल के प्रोजेक्ट पर चर्चा हुई तो जेल अधीक्षक उषाराज ने बताया कि जेल विभाग ओपन जेल के निर्माण के लिए 1 करोड़ रुपए स्वीकृत भी कर चुका है। इसके ठीक उलट पीआईयू के ईई बी.डी. शर्मा रुपए स्वीकृत होने जैसी किसी भी जानकारी से इंकार कर रहे हैं। शर्मा ने बताया कि एक महीने पहले डीजी जेल को पूरा प्रपोजल बनाकर भेजा गया था, इसके बाद उनकी तरफ से कोई रिप्लाय ही नहीं आया।
प्राक्कलन भेजे एक महीना बीता
हमने ओपन जेल के 20 क्वार्टर बनाने के लिए साइट भी देख ली है और इसका प्राक्कलन बनाकर जेल डीजी को भी भेज दिया है। काम के लिए कब मंजूरी मिली, कब रुपए स्वीकृत हुए इसकी विधिवत जानकारी हमारे विभाग को अब तक भेजी ही नहीं गई है। जब लिखित रूप से रूपए स्वीकृत होने की जानकारी आएगी, हम निर्माण की आगे की प्रक्रिया शुरू कर देंगे। -बी.डी. शर्मा, ईई पीआईयू
हमने पीआईयू को कई लेटर लिखे
हमने पिछले कुछ दिनों में पीआईयू को कई लेटर लिखे हैं। जब से मैं यहां पदस्थ हुई हूं, तब से पीआईयू का कोई अधिकारी साईट देखने ही नहीं आया। हमने नोडल एजेंसी महिला एवं बाल विकास के अधिकारियों से भी संपर्क किया। जेल विभाग के सर्वर में एक करोड़ रुपए जारी होने की जानकारी दर्ज है। लेकिन पीआईयू ने भोपाल में अब तक प्राक्कलन ही नहीं भेजा है। -उषा राज, जेल अधीक्षक