थांदला, अग्निपथ। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का उन्नयन सिविल अस्पताल में हो जाने के बाद भी अस्पताल की व्यवस्थाओं में कोई बदलाव नहीं आ रहा है। हास्पिटल की अंदरूनी व्यवस्थाएं काफी चरमरा गई है, हास्पिटल स्टाफ व बीएमओ के आपसी विवाद सार्वजनिक होने लगे जिस वजह से अस्पताल मे मरीजो की फजीहत हो रही है। वहीं लोगों का हास्पिटल पर भरोसा भी कम हो रहा है। गिने-चुने चिकित्सकों से संचालित हास्पिटल में जिले से आंशिक पदस्थ किये गये चिकित्सक केवल नाममात्र की उपस्थित दर्ज करवा कर वापस चले गये।
जानकारी प्राप्त करने पर पता चला कि जिले से पदस्थ षिषुरोग व हडडीरोग चिकित्सक कुछ समय के लिये आये थे अब कोई नहीं आ रहा है। हास्पिटल में पदस्थ चिकित्सकों में से एक चिकित्सक का रोस्टर पद्धति की वजह से दिन में अवकाश ही रहता है। एक महिला चिकित्सक नसबंदी शिविरों में व्यस्त रहते हुए भी ओपीडी संभालते हैं और एक एमडी डॉक्टर सतत ओपीडी के मरीजों का उपचार करते हैं तथा बीएमओ मीटीगो का हवाला देकर हास्पिटल में कम ही उपलब्ध रहते हैं। स्टाफ की माने तो बीएमओ नये की जगह पुराने हास्पिटल में ज्यादा बैठते हैं। हास्पिटल में व्यवस्थाओं पर नियंत्रण व मरीजों की सुरक्षा के लिये लगाए गए सीसीटीवी कैमरे मंगलवार को भी बंद पाये गये। बीएमओ के कक्ष में लगा सीसीटीवी कैमरे का मानिटर बंद स्थिति में मिला एवं बीएमओ भी कक्ष में नहीं थे।
मरीजों को मीनू के हिसाब से नहीं मिल रहा भोजन
हास्पिटल में भर्ती मरीजों के लिये भोजन व्यवस्था भी उपलब्ध है लेकिन वह भी भगवान भरोसे संचालित हो रही है। मरीजों को मीनू अनुसार भोजन नहीं दिया जाता है। वहीं कितने मरीजों का भोजन बनाया जाता है उसकी स्थिति भी स्पष्ट नहीं है। भोजन बनाने वाली रसोयन ने पूछने पर बताया कि प्रतिदिन भोजन अंदाज से बनाया जाता है जबकि भोजन व्यवस्था में भर्ती मरीज तथा उसके साथ एक अटेंडर को भोजन प्रदान किये जाने का प्रावधान है।
हास्पिटल में दूसरी मंजिल पर आईसीसीयु का निर्माण कार्य चल रहा है जिसका पूरा मटेरियल परिसर में ही रखा हुआ है जिससे लोगों को आने-जाने में परेशानी हो रही तथा निर्माण कार्य में लगी मशीनों की आवाज से मरीज और डाक्टर दोनों परेशान हो रहे हैं। चिकित्सकों के कक्ष के बाहर भी मशीनों को लगा रखा जिस वजह से डाक्टर्स कक्षों में बैठ नहीं पा रहे हैं। बीएमओ अनिल राठोर हास्पिटल की व्यवस्थाओं के संबध में बात करने के लिये उपलब्ध नहीं हो पाये।
इनका कहना
सिविल हास्पिटल की व्यवस्थाओं के लिये डॉ. दुबे को प्रभारी बनाया गया है, इस संबध में उनसे चर्चा कर लिजिए तथा चिकित्सकों के लिये शासन से मांग की गई है। – डॉ. जयसिह ठाकुर, सीएमएचओ झाबुआ
मुझे केवल हास्पिटल के डाक्टर्स व स्टाफ नर्स की ड्यूटी के रोस्टर संबधी कार्य हेतु निर्देशित किया गया है, अन्य व्यवस्थाओं के सबंध में मुझे कोई अधिकारिक आदेश नहीं दिये गये हैं। – डॉ. मनीष दुबे, एमडी सिविल हास्पिटल थांदला