सावधान! मात्र 31 किलोमीटर दूर स्थित श्रीलंका अब दिवालिया

हमारे देश की दक्षिण सीमा से मात्र 31 किलोमीटर दूर बसा श्रीलंका देश पूरी तरह से बर्बाद होकर दिवालिया हो गया है। 16वीं शताब्दी में यूरोपीय शक्ति ने इस देश के व्यापार पर अपना अधिकार कर लिया था। और सारी दुनिया को यहाँ से चाय, रबड़, चीनी, कॉफी, दाल चीनी सहित अन्य मसालों का निर्यात होने लगा। पहले पुर्तगालियों फिर डच और सन् 1800 में तटीय इलाकों पर और सन् 1818 आते-आते सम्पूर्ण श्रीलंका पर अंग्रेजों ने अपना कब्जा जमा लिया।

4 फरवरी 1948 को यह देश यूनाइटेड किंगडम से आजाद हुआ। 65 हजार 610 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाला देश सन् 1972 के पूर्व तक सीलोन के नाम से जाना जाता था। 1972 में इसका नाम बदलकर लंका किया गया तथा सन् 1978 में लंका के पूर्व ‘श्री’ जोड़कर इसका नाम श्रीलंका कर दिया गया। 2 करोड़ 20 लाख की आबादी वाले श्रीलंका में 9 प्रांत और 25 जिले हैं। वहां की आबादी में 12.60 प्रतिशत हिंदू आबादी है अर्थात 2 करोड़ 20 लाख में से लगभग 28 लाख हिंदू हैं।

हिंदू पौराणिक इतिहासनुसार श्रीलंका को भगवान शिव ने बसाया था। भगवान शिव की आज्ञा पर विश्वकर्मा ने यहाँ सोने का एक महल पार्वती जी के लिये बनाया था। ऋषि विश्रवा ने शिवजी के भोलेपन का लाभ उठाकर लंका और सोने का महल उनसे दान में माँग लिया था। तब माता पार्वती ने विश्रवा ऋषि को श्राप दिया था कि महादेव का अंश ही एक दिन तेरी हो चुकी लंका को जलाकर राख कर देगा। और इसके साथ ही तुम्हारे कुल का नाश हो जायेगा। लंकापुरी विश्रवा ने अपने पुत्र कुबेर को दी किंतु रावण ने कुबेर को निकालकर श्रीलंका को हड़प लिया। शिव ने हनुमान के रूप में अवतार लेकर श्रीलंका को जलाकर राख कर दिया और रावण, कुंभकरण सहित असुरों का नाश कर दिया।

भारत ने कर रखा है भारी निवेश

भारत श्रीलंका को सालाना लगभग 5 अरब डॉलर (3 खरब 81 अरब, 58 करोड़, 5 लाख भारतीय रुपये) का निर्यात करता है जो भारत के निर्यात का 1.3 प्रतिशत है। भारत श्रीलंका के सबसे बड़े व्यापारिक भागीदारों में से एक है। भारत ने श्रीलंका में पर्यटन, रियल एस्टेट, विनिर्माण, संचार, पेट्रोलियम, खुदरा आदि क्षेत्रों में भारी निवेश कर रखा है। भारत अपने वैश्विक व्यापार के लिये वहाँ के कोलम्बो बंदरगाह पर निर्भर है। भारत का समुद्र के जाने वाले जहाजों के सामान की अदला-बदली का 60 प्रतिशत हिस्सा कोलम्बो बंदरगाह से ही नियंत्रित होता है।

विदेशी मुद्रा भंडार घटा स्थानीय रुपए की कीमत 50 फ़ीसदी घटी

5000 वर्ष पुराने लिखित इतिहास वाला श्रीलंका उसके सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। जिस देश के पास सन् 2018 तक 6.9 बिलियन डॉलर विदेशी मुद्रा का भंडार था वह आज घटकर मात्र 2.2 बिलियन डॉलर ही रह गया है। विदेशी बाजारों से अपनी पहुँच खो देने वाले श्रीलंका में महंगाई दर 17 प्रतिशत से ऊपर चली है। कभी श्रीलंका में 1 डॉलर का मूल्य 201 श्रीलंकाई रुपये हुआ करता था अब 1 अमेरिकी डॉलर का मूल्य 318 श्रीलंकाई रुपये हो गया है जो दक्षिण एशिया के किसी भी देश का सबसे भयानक स्तर है।

देश की राजधानी में हो रही है 10-10 घंटे बिजली कटौती

किसी समय देवताओं की तरह पूजे जाने वाले वहाँ के सत्तासीन राजपक्षे परिवार की सरकार के कुप्रबंधन के कारण श्रीलंका महंगाई के कारण बुनियादी चीजों के भाव आसमान छू रहे हैं।

चावल 500 रुपये प्रति किलो, आलू 200 रुपये किलो, चीनी (शक्कर) 290 रुपये किलो, 400 ग्राम दूध का पावडर 790 रुपये का भाव है। दुकानों को बंद करवा दिया गया है। नागरिक फ्रिज, एसी और पंखे नहीं चला सकते, गैस स्टेशनों पर गैस टैंक भरवाने के लिये घंटों गर्मी में खड़ा रहना पड़ रहा है जिसके कारण इंतजार करते-करते मौतें भी हो रही है। राजधानी कोलम्बो में 10-10 घंटे की विद्युत कटौती हो रही है

बुनियादी सेवाओं के लिये भी सेना के साये में घंटों खड़ा रहना पड़ रहा है फिर भी सीमित मात्रा में ही सामान मिल पा रहा है। हमारे देश भारत के नेताओं की ही तरह सन् 2019 में सत्ता में आयी गोटाबाय राजपक्षे की सरकार ने सत्ता में आने के लिये खूब चुनावी वायदे किये। करो की निम्न दर और किसानों के लिये व्यापक रियायतों की झड़ी लगा दी। सब्जबाग दिखाकर सत्ता में आ तो गये दुर्भाग्यवश सन् 2020 में कोविड के कारण श्रीलंका के चाय, रबड़, मसाले और कपड़ा उद्योग को भारी नुकसान हुआ। ऋण जीडीपी अनुपात जो वर्ष 2019 में 94 प्रतिशत था वह बढ़कर 119 प्रतिशत हो गया।

दिवालिया होने में इन निर्णयों का भी रहा हाथ

पिछले एक दशक में श्रीलंका सरकार ने सार्वजनिक सेवाओं के लिये विदेशों से भारी-भरकम ऋण ले लिया था। उसके ब्याज का चुकारा भी एक बड़ा कारण बना। 2019 में ईस्टर पर हुए बम धमाकों में जिसमें 253 लोग हताहत हुए थे इस कारण दुनिया भर से आने वाले पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट आ गयी।

विनाशकाले विपरीत बुद्धि को चरितार्थ करते हुए श्रीलंका की राजपक्षे सरकार ने वर्ष 2021 में सभी प्रकार के उर्वरकों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया और श्रीलंका को रातों-रात 100 प्रतिशत जैविक खेती वाला देश बनाने की घोषणा कर दी, जिससे खाद्य उत्पादन गंभीर रूप से प्रभावित हुआ। वेदास जनजाति, सिंहली, तमिलों की आबादी वाला श्रीलंका भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के कारण भुगतान संतुलन की गंभीर समस्या और गलत निर्णयों के कारण बर्बाद हो गया।

भारत को लेना होगा सीख, मुफ्तखोरी बंद हो

मात्र 31 किलोमीटर दूर देश श्रीलंका की बर्बादी और दिवालियेपन से हमें भी सतर्क रहना होगा। भारत के राजनैतिक दलों के नेता वोटों की खातिर सब कुछ मुफ्त में बांटने की जो प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं वह कहीं आने वाले 20-25 वर्षों में भारत की स्थिति भी श्रीलंका जैसी ना कर दे। नहीं तो अखंड भारत का सपना देखने वाला मेरा देश तो पहले ही हिजाब, लाउडस्पीकर, मंदिर-मस्जिद जैसे मुद्दों में उलझा हुआ, आग ज्यादा दूर नहीं लगी है उसका स्वभाव है कि वह पड़ोसी के घर को भी झुलसाती है। श्रीलंका की तपिश मेरे देश को ना लगे बाबा महाकाल से यही प्रार्थना है क्योंकि बढ़ती महंगाई ने भारतीयों का जीना हराम कर रखा है।

– अर्जुन सिंह चंदेल

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