साइकिल यात्रा निकालने पर इंजीनियरिंग कॉलेज में किया स्वागत
उज्जैन, अग्निपथ। भारतीय संस्कृति में शोध अंतर्मुखी रहे है जबकि पाश्चात्य देशों के शोध बहिर्मुखी माने जाते हैं। वे वातावरण को बदलने का प्रयास करते हैं जबकि हमारे अध्येता स्वयं को बदलने पर जोर देते हैं।
यह बात पद्मश्री डॉ. किरण सेठ ने उज्जैन प्रवास के दौरान गुरुवार को उज्जैन के उज्जैन के इंजीनियरिंग कॉलेज के सभागृह में आयोजित कार्यक्रम में विद्यार्थियों से कही। पर्यावरण सरंक्षण के उद्देश्य से सेठ साइकिल यात्रा पर हैं और उज्जैन आए हुए है। आईआईटी दिल्ली में प्रोफेसर रहे तथा स्पीक मैके के संस्थापक डॉ. किरण सेठ का उज्जैन में भावभीना स्वागत किया जा रहा है। इसी कड़ी में इंजीनियरिंग कॉलेज में कार्यक्रम रखा गया। कार्यक्रम में कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जेके श्रीवास्तव ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि ये इंजीनियरिंग कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए सौभाग्य की बात है पद्मश्री पुरुस्कार प्राप्त डॉ. सेठ हमारे बीच है।
इस अवसर पर डॉ. सेठ ने विद्यार्थियों को को बताया कि योग, प्राणयाम, शास्त्रीय संगीत और नृत्य भारत की ओर से पूरे विश्व को देन है जो पूरी तरह से वैज्ञानिक और तर्कसंगत है। हमारे शोध आज ज्यादा प्रासंगिक है जब पूरा विश्व पर्यावरण के ह्रास और ग्लोबल वार्मिंग जैसी चुनौतियाँ से जूझ रहा है। आपने साईकिल यात्रा के तीन उद्धेश्य भी छात्रों से साझा करे।
आपने आंतरिक संतुलन, पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति से तादात्म्य पर जोर देते हुए अकेले सायकिल चलाने की उपयोगिता समझाई। कार्यक्रम में स्पीक मैके के राज्य समन्वयक उज्जैन के पंकज अग्रवाल सहित प्रदेश के कई शहरों से आए समन्वयक, एमआईटी के निदेशक डॉ. विवेक बंसोड़, उज्जैन इंजीनियरिंग कॉलेज के वरिष्ठ प्रोफेसर तथा बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने कार्यक्रम में भाग लिया। संचालन डॉ. किरण सेठ के शिष्य और प्रोफेसर अप्रतुल चन्द्र शुक्ला ने किया। आभार प्रदर्शन डीन छात्र कल्याण डॉ. अंजनी कुमार द्विवेदी ने माना।