आज भोपाल जाकर कई सामाजिक एवं पर्यावरण संस्थाएं आपत्तियां दर्ज कराएंगी
उज्जैन, अग्निपथ। शिप्रा शुद्धिकरण एवं संरक्षण को लेकर राजनीतिक सामाजिक एवं अन्य संस्थाओं द्वारा वर्षों से दावे एवं वादों के साथ प्रयास किए गए, किंतु महाकाल की शिप्रा आज भी प्रदूषित एवं असुरक्षित है।
एक बार फिर रूपांतरण सामाजिक पर्यावरण संस्था द्वारा एक और पहल करते हुए शहर के प्रबुद्ध नागरिकों की एक महत्वपूर्ण बैठक आचार्य श्री श्री शेखर की अध्यक्षता में बुलाई जाकर उसमें मास्टर प्लान का विरोध करने हेतु भोपाल एवं उज्जैन में आपत्ति दर्ज कराने का आह्वान किया। आगामी महाकुंभ को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा मेला क्षेत्र के साथ शिप्रा शुद्धिकरण एवं आरक्षण को लेकर मास्टर प्लान बनाया है इस मास्टर प्लान को लेकर पूरे शहर में बड़े पैमाने पर विरोध दर्ज कराया जा रहा है, जिसमें प्रदेश सरकार के जनप्रतिनिधि भी विरोध का स्वर बुलंद कर अपनी सरकार से न्याय की मांग कर रहे हैं। शिप्रा संरक्षण की बैठक में पर्यावरण संस्था अध्यक्ष पाहवा ने शिप्रा शुद्धिकरण एवं संरक्षण को लेकर अब तक किए गए प्रयासों की जानकारी देते हुए कहा कि हम सबको मिलकर एक और प्रयास करना चाहिए। शिप्रा के दोनों ओर 300 मीटर तक भूमि ग्रीन बेल्ट में घोषित की जाए। शिप्रा शुद्धीकरण को लेकर कोई ठोस योजना बनाई जाकर शिप्रा को कान नदी शहर के नालो से प्रदूषित होने से बचाया जा सके।
संस्था द्वारा भोपाल एवं उज्जैन में एक सामूहिक आपत्ति मास्टर प्लान को लेकर दर्ज कराई जाएगी। इस अवसर पर आचार्य श्री शेखर ने सारगर्भित बातें रखते हुए कहा कि शिप्रा शुिद्धकरण हेतु इस अभियान को हमें धार्मिक रूप से जोड़ना होगा। शिप्रा नदी नहीं शिप्रा मां है शिप्रा में जल निरंतर प्रवाहित होता रहे इसके लिए हमें प्रयास करना चाहिए। मेरे द्वारा शिप्रा किनारे अभी 10 इंची 20 से अधिक बोरिंग कराए जाने के बाद लगभग 1000 बोरिंग दोनों किनारे कराए जाने का प्रयास किया जाकर इसे प्रवाह मान बनाएंगे। कुछ बोरिंग कराए जाने की सहमति कुछ भक्तों द्वारा मुझे दी गई है। शहर के प्रबुद्धजन दिवाकर नातू, सोनू गहलोत, डॉ विमल गर्ग, गोपाल महाकाल, रवि भूषण श्रीवास्तव, एसएन शर्मा पत्रकार , अजय भातखंडे, श्रीमती प्रतिभा जोशी, हरीश तिवारी, आनंदी लाल जोशी, अरविंद चौरे प्रमोद वर्मा, अभिषेक निगम ने सामूहिक निर्णय लिया कि हम सब मिलकर सरकार एवं शासन के समक्ष अपना पक्ष मजबूती से रखेंगे। इसके बाद भी सरकार ने हमारी नहीं सुनी तो हम न्यायलय का दरवाजा खटखटाएंगे। संस्थाओं द्वारा मिलकर 7 एवं 8 मई को भोपाल एवं उज्जैन में अपनी आपत्ति दर्ज कराई जाएगी।