लघुकथा संग्रह ‘अपकेन्द्रीय बल’ का विमोचन
उज्जैन, अग्निपथ। लघुकथा वर्णन के बजाय संश्लेषण में विश्वास करती है। लघुकथा लिखना शेष विधाओं से अधिक दुष्कर है।हर्ष का विषय है कि सन्तोष सुपेकर लगातार लिख रहे हैं। उनकी लघुकथाएँ तात्कालिक प्रभाव न छोड़ते हुए ध्वन्यात्मक प्रभाव छोड़ती हैं। आज के आदमी के आत्मकेन्द्रित हो जाने की व्यथा है उनका छठवाँ संग्रह अपकेन्द्रीय बल। ऐश और कैश को मैं इस संग्रह की प्रतिनिधि रचना मानता हूँ।
यह उद्गार संस्था सरल काव्यांजलि एवं गजलांजली द्वारा आयोजित सन्तोष सुपेकर के छठवें लघुकथा संग्रह अपकेन्द्रीय बल के विमोचन तथा सम्मान समारोह में ख्यात साहित्यकार ,समीक्षक विक्रम विश्वविद्यालय ,उज्जैन के कुलानुशासक डॉक्टर शेलेन्द्रकुमार शर्मा ने व्यक्त किये।
संस्था सरल काव्यांजलि के सचिव डॉ संजय नागर ने बताया कि इस अवसर पर उज्जैन परस्पर सहकारी बैंक के चुनाव में पुन: निर्वाचित होने पर वरिष्ठ पत्रकार अनिलसिंह चन्देल और हरदयालसिंह ठाकुर का संस्था सरल काव्यांजलि द्वारा स्मृति चिन्ह भेंट कर अभिनन्दन किया गया। अनिलसिंह चन्देल ने अपने उदबोधन में कहा मैं कोई विशिष्ट नही आप सरीखा ही हूँ। उन्होंने उपस्थितों को विश्वास दिलाया कि वे पूर्व की तरह बैंक में ईमानदारीपूर्वक अपने कार्यों को अंजाम देंगे। उन्होंने सन्तोष सुपेकर की साहित्य निष्ठा की सराहना की।
हरदयालसिंह ठाकुर ने सरल काव्यांजलि से अपने वर्षों पुरानी सम्बन्धों की चर्चा की। विशेष अतिथि वरिष्ठ अभिभाषक सुभाष गौड़ ने अपने उदबोधन में श्रीकृष्ण सरल और गज़़लकार जगदीशचन्द्र पंड्या का स्मरण किया। वरिष्ठ व्यंग्यकार राजेन्द्र देवधरे दर्पण ने अपने अतिथि उद्बोधन में कहा कि सन्तोष सुपेकर के अंदर का असंतोष ही उनसे रचनाएँ लिखवाता है।
सन्तोष सुपेकर ने अपने सद्य प्रकाशित लघुकथा संग्रह में से अपनी तीन प्रतिनिधि लघुकथाओं का पाठ करते हुए सांकेतिकता, गूढ़ता प्रतीकात्मकता और संक्षिप्तता को लघुकथा की प्रमुख विशेषताएँ बताया। विशेष सहयोग के लिए उन्होंने विनोद काबरा, राजीव पाहवा और पुस्तक के प्रकाशक हेमन्त भोपाले का स्वागत किया। संग्रह के भूमिका लेखक, पटियाला के योगराज प्रभाकर के सन्देश का वाचन आशीष श्रीवास्तव अश्क ने किया। इंदौर के राममूरत राही का ऑडियो सन्देश भी सुनाया गया।
कार्यक्रम अध्यक्ष, ख्यात चित्रकार डॉ. श्रीकृष्ण जोशी ने अपने उदबोधन में शुभकामनाएं दीं। कार्यक्रम के बाद विशेष अतिथि एम जी सुपेकर द्वारा अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किये गए।
प्रारम्भ में सरस्वती वंदना विजय गोपी ने प्रस्तुत की, स्वागत भाषण नितिन पोल ने दिया। श्रीकृष्ण सरल की कविता का वाचन दिलीप जैन और जगदीशचन्द्र पण्ड्याजी की गज़़ल का वाचन के.एन. शर्मा अकेला ने किया। संचालन, वरिष्ठ गज़़लकार डॉ विजय सुखवानी ने किया। उन्होंने मदर्स डे के अवसर पर अपनी मातृ केंद्रित कुछ गज़लें भी प्रस्तुत कीं।
अतिथि स्वागत प्रदीप सरल, डॉ पुष्पा चौरसिया,आशागंगा शिरढोणकर,नरेंद्र शर्मा चमन, विजयसिंह गहलोत, साकित उज्जैनी, मोहम्मद आरिफ अफज़़ल ने किया। इस अवसर पर डॉ. वन्दना गुप्ता ,डॉ. रफीक नागौरी,डॉ अखिलेश चौरे,डॉ महेश कानूनगो, डॉ.प्रणव नागर,अनिल चौबे,रामचन्द्र धर्मदासानी, कमलेश कुशवाह, मुक्तेश मनावत,अमित सुपेकर,सुनील अंजने, नरेंद्र विश्वकर्मा, रमेश जाजू, सागर उदगीर, श्रद्धा गुप्ता, अरुण सक्सेना, राजेश राठौर सहित नगर के कई प्रबुद्धजन उपस्थित थे।