उज्जैन। पिछड़ा वर्ग को नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में आरक्षण दिए जाने के मुद्दे पर शुक्रवार को भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने एक-दूसरे पर निशाना साधा है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के पदाधिकारियों ने जिलास्तर पर पत्रकार वार्ताएं लेकर ओबीसी वर्ग की अनदेखी के एक-दूसरे पर आरोप लगाए। दोनों ही दल चाहते है कि ओबीसी वर्ग को दोनों चुनावों में 27 प्रतिशत आरक्षण मिले लेकिन दोनों ही दल इसका लाभ स्वयं के खाते में डालना चाहते है।
कांग्रेस ने बनाई भ्रम की स्थिति
भाजपा के जिला अध्यक्ष विवेक जोशी और उच्चशिक्षा मंत्री डा. मोहन यादव सहित पार्टी के अन्य पदाधिकारियों ने नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के मुद्दे पर भाजपा का रूख स्पष्ट किया। एक संवाददाता सम्मेलन में उच्चशिक्षा मंत्री डा. मोहन यादव ने कहा कि भाजपा ने हमेशा सभी वर्गो को साथ लेकर चलने का काम किया है। राज्य में जब कांग्रेस की सरकारी थी, तब अधिकांश निकायों का कार्यकाल खत्म हुआ था। तब सरकार को चुनाव कराना थे लेकिन चुनाव टाले गए। 2020 में जब कमलनाथ को लगा कि अब उनकी सरकार नहीं बचेगी, तब उनकी सरकार ने ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का शगूफा छोड़ा। डा. यादव ने कहा कि इसके लिए किसी तरह की तैयारी सरकार ने नहीं की थी। एक तरफ कांग्रेस से जुड़े लोग ही हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जा रहे है, दूसरी तरफ कांग्रेस ओबीसी आरक्षण की बात कर रही है। इस तरह कांग्रेस भ्रम की स्थिति पैदा कर रही है। डा. यादव ने कहा कि यदि वास्तव में कांग्रेस चाहती है कि पिछड़ा वर्ग को चुनावों में पर्याप्त सम्मान मिले तो उन्हें कोर्ट में और समाज के बीच भी अपना रूख साफ करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा किसी भी वर्ग के साथ किसी तरह का अन्याय नहीं होने देना चाहती है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर से रिव्यू पिटिशन दाखिल की गई है।
चुनाव टालना चाहती है भाजपा
शुक्रवार को कांग्रेस नेताओं द्वारा भी ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर अपनी पार्टी का पक्ष रखा। कांग्रेस के शहर अध्यक्ष महेश सोनी, अशोक भाटी, रवि राय आदी नेताओं ने आरोप लगाया कि भाजपा की प्रदेश सरकार चुनाव टलवाना चाहती है। यहीं वजह है कि खुद सरकार के मुखिया कोर्ट का फैसला आने के बाद रिव्यू पिटिशन दायर करवाने के लिए दिल्ली भागे थे। महेश सोनी ने कहा कि भाजपा, आरएसएस और आरएसएस के मुखिया मोहन भागवत दलित और आरक्षण के विरोधी है। शहर कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा सरका चोर दरवाजे से मध्यप्रदेश के सभी निकायों औैर पंचायतों पर अपना नियंत्रण बनाए रखना चाहती है। ऐसा करने से वर्तमान जनप्रतिनिधियों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने कई बार ऐसे कदम उठाए है जिनसे उनकी दलित और आरक्षण विरोधी छबि जनता के बीच सामने आई है। सोनी ने दावा किया कि प्रदेश सरकार कितनी भी कोशिश कर ले, अगले 10 से 15 दिनों में चुनाव की घोषणा करना ही पड़ेगी। चुनाव होंगे तो जनता खुद तय कर देगी कि कौन सा दल पिछड़ा वर्ग की चिंता कर रहा है।