मामला देवासरोड पर बन रहे विवादास्पद भवन का, जांच में पाया अवैध निर्माण
उज्जैन, अग्निपथ। देवासरोड (विश्वविद्यालय मार्ग) पर बनकर तैयार हुए एक बहुमंजिला शापिंग कांप्लेक्स के मामले में लोकायुक्त इंदौर की जांच पूरी हो गई है। संभावना है कि इसी सप्ताह में लोकायुक्त मामले का कोर्ट में चालान प्रस्तुत कर दे। चालान प्रस्तुत होते ही उज्जैन नगर निगम से जुड़े दो अधिकारी निलंबित कर दिए जाएंगे। लोकायुक्त की अब तक की जांच में यह साफ हो गया है कि जिस जगह पर नगर निगम ने व्यवसायिक निर्माण की अनुमति जारी की है, वह जमीन ग्राम तथा नगर निवेश विभाग के रिकार्ड के अनुसार आवासीय प्रयोजन की है, यहां व्यवसायिक निर्माण किया ही नहीं जा सकता है।
विश्वविद्यालय मार्ग पर 40 नंबर प्लॉट पर बिल्डर सुशील जैन गिरिया की फर्म आर.एन. विनो इस्टेट डेवलपर्स प्रा.लि. द्वारा व्यवसायिक निर्माण किया गया है। निर्माण शुरू होने से पहले जब इस जमीन का सौदा हुआ था तभी से यह प्रापर्टी विवादास्पद रही है। दरअसल, आर.एन. विनो इस्टेट कंपनी ने जिस परिवार से लगभग 30 हजार वर्गफिट जमीन का सौदा किया था, उसमें जमीन के 26 हिस्सेदार थे। इन्हीं में से एक दिव्या जादौन ने प्रापर्टी के सौदे और इस पर दी गई निर्माण अनुमतियों पर आपत्ति ली थी। दिव्या जादौन ने कोर्ट में भी केस दायर किया हुआ है। कोर्ट के निर्देश पर लोकायुक्त ने मामला जांच में लिया था।
उज्जैन लोकायुक्त के पास से ट्रांसफर होकर यह जांच इंदौर लोकायुक्त इंदौर के पास पहुंची और वहां नगर निगम के तत्कालीन नगर निवेशक मनोज पाठक(वर्तमान अपर आयुक्त), तत्कालीन भवन अधिकारी रामबाबू शर्मा, अरूण जैन, भवन निरीक्षक मीनाक्षी शर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के अंतर्गत केस दर्ज किया था। इसके अलावा आर.एन. विनो इस्टेट के डायरेक्टर सुशील गिरिया के खिलाफ भी षडय़ंत्र की धारा 120 बी के तहत अपराध दर्ज हुआ था। लोकायुक्त की जांच लगभग पूरी हो चुकी है।
ग्राम तथा नगर निवेश विभाग के संयुक्त संचालक सी.के. साधव के भी लोकायुक्त ने जांच के दौरान बयान दर्ज किए थे। साधव ने लोकायुक्त को बताया है जिस स्थान पर नगर निगम के अधिकारियों ने व्यवसायिक निर्माण की अनुमति जारी की है, वह जमीन आवासीय उपयोग के रूप में दर्ज है।
सूत्र बताते है कि लोकायुक्त ने मामले में कोर्ट चालान प्रस्तुत करने की तैयारी कर ली है। शासन द्वारा निर्धारित नियमों के मुताबिक कोर्ट में चालान प्रस्तुत होते ही शासकीय नौकरी वाले संबंधित आरोपी को निलंबित कर दिया जाता है।
सूत्र बताते है कि मामले में नगर निगम अपर आयुक्त मनोज पाठक को लोकायुक्त की तरफ से क्लिन चिट मिल गई है जबकि शेष तीन आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य जुटा लिए गए है। चालान प्रस्तुत होते ही भवन अधिकारी रहे रामबाबू शर्मा और भवन निरीक्षक मीनाक्षी शर्मा का निलंबन तय हो जाएगा। रामबाबू शर्मा फिलहाल रतलाम नगर निगम में पदस्थ है। प्रकरण के तीसरे आरोपी अरूण जैन सेवा निवृत्त हो चुके है।
अभियोजन के लिए लिखे दो जगह पत्र
लोकायुक्त इंदौर ने मामले की जांच पूरी करने के बाद राज्यशासन और नगर निगम उज्जैन दो जगहों पर पत्र लिखकर अभियोजन की स्वीकृति मांगी है। कार्यपालन यंत्री रामबाबू शर्मा और भवन निरीक्षक मीनाक्षी शर्मा का नियोक्ता मध्यप्रदेश शासन है लिहाजा शासन से इनके खिलाफ चालान की अनुमति मांगी गई है। सेवानिवृत्त कार्यपालन यंत्री अरूण जैन का नियोक्ता नगर निगम उज्जैन है लिहाजा नगर निगम को भी पत्र लिखकर अनुमति चाही गई है। लोकायुक्त जांच के विरूद्ध अरूण जैन ने न्यायालय में एक अपील भी दायर की है।
व्यावसायिक निर्माण वो भी स्वीकृति से ज्यादा
- विश्वविद्यालय मार्ग पर बने बहुमंजिला भवन के व्यावसायिक निर्माण की अनुमति हांसिल की गई जबकि जमीन का उपयोग आवासीय के रूप में दर्ज है। व्यावसायिक निर्माण भी नगर निगम द्वारा स्वीकृत नक्शे से ज्यादा निकला है।
लोकायुक्त के पत्र के आधार पर नगर निगम अधिकारियों ने निर्माण की जांच की तो भवन में स्वीकृत नक्शे से ज्यादा निर्माण मिला है।
अवैध निर्माण की कंपाउंडिंग के लिए आर.एन. विनो कंपनी ने नगर निगम में करीब 9 करोड़ रूपए जमा भी कराए है, कपाउंडिंग पर फैसला अभी नहीं लिया गया है।
नगर निगम में इस बात की भी चर्चा है कि इस निर्माण को वर्तमान में पदस्थ एक अधिकारी द्वारा गलत तरीके से पूर्णता प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया है। हालांकि यह अधिकारी खुद कह रहे है कि जब तक कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे।
इनका कहना
विवेचना के दौरान मनोज पाठक की केस में कोई सहभागिता नहीं मिली है। शेष तीन लोग रामबाबू शर्मा, अरूण जैन और मीनाक्षी शर्मा के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति के लिए शासन को पत्र भेजा गया है। जैसे ही अभियोजन स्वीकृति मिलती है, कोर्ट में चालान प्रस्तुत कर दिया जाएगा।
– आनंद यादव, डीएसपी लोकायुक्त इंदौरलोकायुक्त ने हमसे जमीन के उपयोग की जानकारी ली थी। मैंने अपने बयान में भी लोकायुक्त को बताया है कि हमारे रिकार्ड में जमीन आवासीय उपयोग की है।
– सी.के. साधव, संयुक्त संचालक ग्राम तथा नगर निवेश विभाग