सावन के दूसरे सोमवार पर भीड़ प्रबंधन फेल, दबाव से टीन का शेड भी धाराशायी, भीड़ में दबे श्रद्धालु
उज्जैन, अग्निपथ। श्रावण मास के दूसरे सोमवार को चारधाम मंदिर पर भीड़ के दबाव के चलते हादसा होते बचा। भीड़ को रोके जाने और दबाव अधिक हो जाने की वजह से दो श्रद्धालु दबकर बेहोश हो गए। गनीमत रही कि समय रहते स्टापर बेरिकेड का गेट खोल दिया गया। जिससे भीड़ का दबाव कम हो जाने की वजह से हालात और ज्यादा बिगडऩे से बच गए।
जिला प्रशासन द्वारा भीड़ नियंत्रण का सही तरह से प्लान नहीं बनाया गया। सवारी निकलने से पहले जहां बकायदा पुलिस को ट्रेनिंग दी जाती थी। वहीं विगत वर्षों से यह भी बंद कर दी गई। यही वजह रही कि जिला पुलिस प्रशासन और मंदिर समिति द्वारा पूर्वानुमान लगाकर की गई दर्शन व्यवस्था सोमवार की सुबह अस्त व्यस्त हो गई।
हालत यह हो गई कि भीड़ में दबकर श्रद्धालु बेहोश हुए जिन्हें परिजनों ने जिला अस्पताल में भर्ती करवाया। गुना के आरोन निवासी प्रीतम मीणा पिता अमरसिंह 45 वर्ष और गजेन्द्र सिंह पिता दौलतसिंह 50 वर्ष परिवार के लोगों के साथ उज्जैन दर्शन करने आये थे। यहां सुबह 6 बजे सभी लोग चारधाम मंदिर के सामने सामान्य दर्शनार्थियों की कतार में लगे।
भीड़ अधिक होने व धक्का-मुक्की के बीच परेशानियों का सामना करते हुए सभी लोग आगे बढ़ रहे थे तभी पीछे से शोर के साथ भीड़ का दबाव बढ़ गया जिसमें दबने से दोनों बेहोश हो गये। दोनों को बाहर निकालकर चारधाम मंदिर की तरफ ले गये। यहां दूसरे लोग भी भीड में दब रहे थे लेकिन पुलिस और सुरक्षाकर्मी व्यवस्था नहीं बना पा रहे थे।
सुबह एम्बुलेंस और डॉक्टर नदारद
जिला प्रशासन द्वारा श्रावण मास में मंदिर के अंदर और बाहर एम्बुलेंस और डॉक्टरों की टीम लगाई जाती है। यह व्यवस्था इस बार चारधाम मंदिर पर की गई थी। लेकिन हादसा होने के बाद सुबह 5.50 से 6 बजे के बीच न तो श्रद्धालुओं को एम्बुलेंस मिली और ना ही डॉक्टर। ऐसे में परिजन आटो में डालकर दोनों को जिला चिकित्सालय लेकर पहुंचे।
जिगजैग में नहीं घुमा रहे
पूर्व में जब भी सवारी निकाली जाती थी तो माधव सेवा न्यास के पास के सरकारी स्कूल में जिगजैग बनाया जाता था। यहां से श्रद्धालुओं को घुमाकर माधव सेवा न्यास की पार्किंग में बनाए गए जिगजैग में डालकर आगे बढ़ाया जाता था। लेकिन इस बार कहीं पर भी जिगजैग नहीं बनाया गया है। चारधाम मंदिर में बेरिकेड़स के बीच श्रद्धालुओं को एकत्रित कर धीरे धीरे छोड़ा जाता है। ऐसे में श्रद्धालु जिसमें कई अतिउत्साही भी रहते हैं। धक्का मुक्की करते हुए चलते हैं और दबाव के कारण ऐसी घटना घट जाती है।