इंदौर, अग्निपथ। भारत-दक्षिण अफ्रीका मैच में टिकटों की मारामारी और ब्लैकमेलिंग के बीच मप्र क्रिकेट एसोसिएशन के कुछ पदाधिकारियों की भूमिका संदिग्ध नजर आती है। एसोसिएशन ने 14 हजार टिकट इनसाइडर. इन के मार्फत आनलाइन बिकवाए थे। जो कि कुछ ही मिनट में गायब हो गए थे। उसके बाद 27 हजार क्षमता वाले स्टेडियम में बचे 13 हजार टिकटों का जवाब एसोसिएशन के के पास संतोषजनक और विश्वसनीय नहीं है।
जब इस प्रतिनिधि ने 300 टिकट की ब्लैक में बिकने की बात पर मप्र क्रिकेट एसोसिएशन से चर्चा की तो उसका कहना था कि इस बारे में मैं क्या कह सकता हूं। जब पूछा गया कि ऑनलाइन 14 हजार टिकट बेचे गए हैं, तो 13 हजार टिकट किन्हें बेचे गए? तो कहना था कि हम कुछ टिकट या पास एसोसिएशन से जुडे लोगों को देते हैं। कुछ टिकट या पास प्रशासन, पुलिस और नेताओं को पहुंचाते हैं। कुछ टिकट एमपीसीए से जुड़े संगठनों को बेचते हैं।
जब उनसे पूछा क्या 13 हजार पास बांट देते हैं तो उनका कहना था कि एसोसिएशन से जुड़े संगठनों को टिकट बेचे जाते हैं। ज्ञात हो कि एमपीसीए से जुडे सदस्यों की संख्या 250 के आसपास है। इन सदस्यों को औसत 4 पास दिए जाते हैं। एमपीसीए से जुुड़े संगठनों को भी 2000 से ज्यादा टिकट नहीं जाते हैं। पुलिस प्रशासन और नेताओं को अगर 2000 हजार पास भी दिए जाते हैं तो यह संख्या 5 हजार से ज्यादा नहीं होती है। उसके बाद भी 8000 टिकट कहां गए यह प्रश्न है। संभवत: ये टिकट किसी माध्यम से बाहर चले गए जो ब्लैक में बिक रहे है।
आनलाइन टिकटों की जानकारी भी नहीं दी
सूत्र बताते है कि मप्र क्रिकेट एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने जिस दिन आन लाइन टिकटों की बिक्री होनी थी, उसकी जानकारी भी सार्वजनिक नहीं की। यहां भी आम क्रिकेट प्रेमी को निराश होना पड़ा। टिकटों की बिक्री शुरू होते ही साइट क्रेश हो गई उसके कुछ मिनट बाद स्क्रीन पर लिखा आया सोल्ड आउट। इस संबंध में भी एसोसिएशन के पदाधिकारी संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए थे।
स्टेडियम में मचेगी मारामारी
टिकटों की ब्लैक मेलिंग में पकड़े गए लोगों ने कबूल किया है कि उन्होंने कुछ ओरिजनल टिकटों की फोटोकापी कर 300 से ज्यादा टिकट बेच दिए है, ऐसे में एक सीट पर बैठने वाले दो-दो, तीन-तीन दावेदार हो जाएंगे। ऐसे में स्टेडियम में मारामारी मच सकती है। पुलिस का दावा है कि शहर में कई लोगों ने टिकट ब्लैक किए हैं। इन लोगों के पास इतने टिकट कहां से आए ये सवाल है। जिन दो लोगों को पुलिस ने पकड़ा है, उनसे पूछा जाना चाहिए कि उन्हें ओरिजनल टिकट किसने उपलब्ध कराए हैं।
पहले भी हुआ है ब्लैकमेलिंग कांड
मप्र क्रिकेट एसोसिएशन में टिकटों की कालाबाजारी का मामला नया नहीं है। पहले भी जब एक बड़े पदाधिकारी का नाम इस मामले में आया था, लेकिन एसोसिएशन की बदनामी न हो इसलिए मामला रफा दफा कर दिया गया था।
मैच के पास नहीं दिये तो नगर निगम ने मारा एमपीसीए दफ्तर पर छापा
क्रिकेट एसोसिएशन अध्यक्ष ने सरकार को लिखा पत्र
इंदौर, अग्निपथ। इंदौर नगर निगम ने पूरे देश में सफाई के लिए वाहवाही लूटी और दो दिन बाद ही पूरी दुनिया में अपनी किरकिरी भी करा ली। भारत और दक्षिण अफ्रीका के मैच से ठीक एक दिन पहले मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के दफ्तर में छापा मार दिया। संपत्ति कर की मांग की। रोड सेफ्टी सीरीज का एंटरटेनमेंट टैक्स भी मांग लिया। इसकी टाइमिंग ही ऐसी है कि इंदौर नगर निगम की कार्रवाई सवालों के घेरे में है। सारी लड़ाई मैच के पास की है। टिकटों की है। अधिकारियों और कर्मचारियों को टिकट चाहिए, लेकिन स्टेडियम इतना छोटा है कि टिकट कुछ ही मिनटों में बिक गए।
साफ है कि शहर को बड़ा स्टेडियम चाहिए। एमपीसीए के अध्यक्ष अभिलाष खांडेकर ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर शिकायत की है। उनका कहना है कि एमपीसीए के दफ्तर में छापा मारा गया, जबकि 31 मार्च 2023 तक भुगतान करने का वक्त था। इंदौर की छवि बचाने के लिए हमें 32 लाख रुपये का भुगतान करना पड़ा।
इंदौर नगर निगम ने एक अंतरराष्ट्रीय मैच से एक दिन पहले यह कार्रवाई की, जबकि मेरे संगठन ने इससे पहले कभी कोई गलती नहीं की थी। कर का भुगतान करने में कोई गलती नहीं की है। नगर निगम में युवा आईएएस अधिकारियों को कुछ पास चाहिए थे। मैंने परंपरा और शिष्टाचार के नाते निगम आयुक्त प्रतिभा पाल को 25 पास भिजवा दिए थे। इसके बाद भी यह छापेमारी आश्चर्यजनक है।