ई-कार्ट चालकों द्वारा मनमाफिक तरीके से चलाया जा रहा
उज्जैन, अग्निपथ। विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में हाल ही में 14 अक्टूबर से महाकाल लोक में सामान्य श्रद्धालुओं को प्रवेश की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु महाकाल लोक के अवलोकन करने के लिये पहुंच रहे हैँ। लेकिन यहां पर इतना लंबा चलना विशेषकर बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों के लिये दुश्कर हो रहा है। ई कार्ट चालकों को कोई विशेष दिशा निर्देश नहीं मिलने के कारण वह अपनी मनमानी कर रहे हैं। यहां तक कि बुजुर्गों को भी इसमें नहीं बैठाया जा रहा है।
भारत माता मंदिर के पीछे की पार्किंग के पास ई कार्ट का मुख्य स्टापेज बना दिया गया है। यहां पर आधा दर्जन से अधिक ई कार्ट खड़ी रहती हैं। लेकिन यहां से किन लोगों को बैठाया जा रहा है। इसकी जानकारी अधिकारियों को भी नहीं है। जानकारी में आया है कि प्रोटोकाल श्रद्धालुओं को फोन आने पर ई कार्ट उपलब्ध करवाया जा रहा है। 900 मीटर की लंबा रास्ता तय करने में लोगों को पैदल चलने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। विशेषकर दिन की तपती धूप में। ऐसे में महिलाएं, बुुजुर्ग और बच्चे परेशान हो रहे हैं। बच्चों और महिलाओं में महाकाल लोक का विशेष आकर्षण होने के कारण परिवार सहित लोग प्रतिदिन देखने के लिये पहुंच रहे हैं।
बुजुर्ग महिला को नहीं बैठाया
लोगों को बैठाने में ई कार्ट के चालक अपनी मनमानी कर रहे हैं। किसको बैठाना है और किसको नहीं, यह सब उनके उपर निर्भर है। कई ई कार्ट में जवान युवकों को बैठा देखा जा सकता है। हाल ही में एक बुजुर्ग महिला को ई कार्ट में बैठाने से इंकार कर दिया गया था। हमारे पास उस महिला का फोटो पहुंचा जिसमें सामने वाले की ओर से शिकायत की गई कि ऐसा ई कार्ट चालकों द्वारा किया जा रहा है। आखिर कार अधिकारी ही बतायें कि किस तरह से लोगों को महाकाल लोक में ई कार्ट में बैठाया जा रहा है।
100 फीट ऊंची दीवार कूद रहे
महाकाल लोक बेगमबाग कालोनी से लगा हुआ है। यहां पर अल्पसंख्यक युवकों का प्रवेश वर्जित किया हुआ है। बजरंग दल द्वारा त्रिवेणी संग्रहालय के पास खड़े होकर कई बार आईडी भी चैक की जा चुकी है। लिहाजा यहां के युवक 100 फीट ऊंची दीवार पर चढ़ रहे हैं और महाकाल लोक में कूदकर प्रवेश कर रहे हैं। ऐसी चर्चा मंदिर गलियारों में चल रही है। यह काम रात्रि 9 बजे के बाद किया जा रहा है। सुरक्षाकर्मियों को भी इस बात की जानकारी है, लेकिन फटे में कोई भी टांग नहीं अड़ाना चाहता।