उज्जैन, अग्निपथ। विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में सोमवार को भस्म आरती के दौरान तडक़े 4 बजे मंदिर के कपाट खोले गए। भगवान महाकाल को जल से स्नान, अभिषेक कर पण्डे पुजारियों ने दूध, दही, घी, शहद, फलों के रस से बने पंचामृत से बाबा महाकाल का अभिषेक पूजन किया गया। सांदीपनि आश्रम में भी सोमवार से रंग गुलाल उड़ाकर होली खेली गई।
भगवान महाकाल को 40 क्विंटल फूल अर्पित कर होली खेली गई। मस्तक पर रजत त्रिशूल, त्रिनेत्र और चंद्र के साथ मोगरे और गुलाब के सुगंधित पुष्प अर्पित कर राजा स्वरूप में श्रृंगार किया गया। पुजारी दिलीप गुरु-प्रदीप गुरु ने बताया कि सभी त्योहारों की शुरुआत महाकाल मंदिर से होती है। इसी क्रम में सोमवार को भस्म आरती के दौरान महाकाल का भांग, चन्दन, सिंदूर और आभूषणों से श्रृंगार किया गया। मस्तक पर तिलक और सिर पर शेषनाग का रजत मुकुट धारण कर रजत की मुंडमाला और रजत जड़ी रुद्राक्ष की माला के साथ साथ 40 किवंटल सुगन्धित पुष्प से बाबा के साथ होली खेली गई।
इस दौरान श्रद्धालु के साथ भी पण्डे पुजारियों ने फूलों की होली खेली, फूलों की माला अर्पित की गयी। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने बाबा का आशीर्वाद लिया। फल और मिष्ठान का भोग लगाया। भस्म आरती में बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल का आशीर्वाद लिया। महा निर्वाणी अखाड़े की और से भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की गयी।
श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में सोमवार की संध्या आरती के बाद मंदिर परिसर में स्थित होलिका का दहन किया गया। शासकीय पुजारी घनश्याम शर्मा द्वारा वैदिक विधिविधान से होलिका का पूजन अर्चन कर दाह लगाया गया। पश्चात भोपूजी की भजन संध्या का आयोजन किया गया। श्रद्धालुओं को चलायमान चलाते हुए भजन संध्या सुनना पड़ी। हालांकि इस बार पांच नंबर गेट पर शाम के समय ताला लगा देने के कारण श्रद्धालु मंदिर परिसर में प्रवेश नहीं कर पाये। मंदिर परिसर में किसी को भी एकत्रित नहीं होने दिया गया।
शाम से ही पुजारी पुरोहित परिवार की महिलाएं होलिका का पूजन करने पहुंच गई थीं। उन्होंने अपनी परंपरा का निर्वहन करते हुए होलिका का पूजन अर्चन किया। संध्या आरती में फूलों से होली खेलने के बाद पुजारी श्री शर्मा होलिका दहन स्थल पर पहुंचे और उन्होंने वैदोक्त मंत्रोच्चार के बीच होलिका का अबीर गुलाल से पूजन किया। यह पूजा काफी देर तक चली। कंडों से सजी होली के पूजन अर्चन के पश्चात होलिका दहन किया गया। वहां मौजूद श्रद्धालुओं ने भी सभी के साथ होलिका की प्रदक्षिणा कर सनातनी परंपरा का निर्वहन किया। ज्ञात रहे कि उज्जैन के महाकाल के आंगन में देश की सबसे पहली होली का दहन किया जाता है। भगवान महाकाल के आंगन में हर त्योहार सबसे पहले मनाया जाता है।
5 नंबर गेट पर भोपूजी फंसे
मंदिर परिसर में होलिका दहन देखने के लिये शाम होते होते श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगने लगा था। श्रद्धालुओं ने किसी तरह से पांच नंबर गेट तो पार किया, लेकिन चढ़ाव उतरने वाले स्टील के गेट पर मंदिर प्रशासन ने ताला लगवा दिया था। लिहाजा यहां से कोई भी मंदिर परिसर में नहीं पहुंच पाया। इनके बीच भजन संध्या करने आये भोपूजी को भी रोक दिया गया था। हालांकि बाद में उनको मंदिर परिसर में जाने दिया गया।
भोपूजी की भजन संध्या को चलायमान देखा
प्रतिवर्ष होलिका दहन के बाद भगवान महाकाल के आंगन में प्रसिद्ध भजन गायक नंदू भैया (भोपूजी) अपने भजनों से धर्ममय वातावरण पैदा कर देते हैं। लेकिन इस बार मंदिर प्रशासन ने मंदिर परिसर में भीड़ का एकत्रित नहीं होने दिया। सिद्धि विनायक मंदिर के सामने स्थित नृसिंह मंदिर के ओटले से भोपूजी की भजन संध्या चलती रही। यहीं से दर्शन कर बार निकल रहे श्रद्धालुओं को ओंकारेश्वर मंदिर के सामने से गुजारकर भद्रकाली मंदिर के सामने से बाहर निकाला जाता रहा। होलिका दहन के बाद भजनों का जो क्रम शुरु हुआ तो देर तक चलता रहा।
सांदीपनि आश्रम में खूब उड़ा गुलाल
श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली सांदीपनि आश्रम में सोमवार को भगवान कृष्ण ने गोपियों और राधा जी के साथ होली खेली। इस होली में भजन पर करीब 10 से अधिक कलाकारों ने गुलाल और फूलों से होली की शुरुआत कर मंदिर के माहौल को रंग मय कर दिया। भजन की धुनों पर राधा और गोपियों अपने नृत्य से अराधना कर श्री कृष्ण पर जमकर गुलाल उड़ाया। पुजारी रूपम व्यास ने बताया कि सांदीपनि आश्रम भगवान श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली है और कृष्ण और राधा की होली दुनिया भर में प्रसिद्ध है। सोमवार को सबसे पहले महाकाल मंदिर में होली खेली गई इसके बाद श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली गोपियों ने खेली होली। नृत्य समूह की पलक पटवर्धन ने बताया कि मधुर भजन पर श्री कृष्ण ने राधा के साथ होली खेली है।