आज डॉ. मधुमिता भट्टाचार्या का शास्त्रीय गायन, महेश मालिक का वायलिन वादन और जिया जरीवाला की भरतनाट्यम की प्रस्तुति
उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा 18वां भारतीय श्रावण महोत्सव-2023 का आयोजन किया जा रहा है। जिसका नाम शिव संभवम दिया गया हैत्र आयोजन की दूसरी शाम शनिवार 15 जुलाई को शास्त्रीय गायन, वादन और नृत्य की रसवर्षा से नटराज श्री महाकालेश्वर की आराधना की जायेगी।
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक संदीप कुमार सोनी ने बताया कि श्रावण महोत्संव की दूसरी शाम शनिवार को सायं 07 बजे मंदिर के समीप स्थित त्रिवेणी कला एवं पुरातत्व संग्रहालय सभागृह, जयसिंह पुरा में वाराणसी की डॉ. मधुमिता भट्टाचार्या के शास्त्रीय गायन, भोपाल के श्री महेश मालिक के वायलिन वादन की प्रस्तुति होगी। कार्यक्रम की संध्या का समापन सूरत की सुश्री जिया जरीवाला द्वारा भरतनाट्यम की प्रस्तुति से होगा।
कलाकारों का परिचय
डॉ. मधुमिता भट्टाचार्य – आप शास्त्रीय एवं उप शास्त्रीय संगीत की कलाकारा हैं 7 डॉ. मधुमिता ने संगीत की शिक्षा ग्वालियर एवं बनारस घराने में प्राप्त की है। आपने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी से डॉक्टर आफ म्यूजिक सहित कई प्रतिष्ठित उपाधि प्राप्त की है। आप आकाशवाणी एवं दूरदर्शन की बी हाई ग्रेड की कलाकार हैं। आप आई.सी.सी.आर. नई दिल्ली से मनोनीत हैं। आपने देश के प्रतिष्ठित संगीत मंचों पर अपनी प्रस्तुतियां दी है। आपको अनेक सम्मान प्राप्त हैं। जिनमे प्रमुख हैं स्वर्ण पदक मास्टर ऑफ म्यूजिक, सुरमणि, रानी लक्ष्मीबाई सम्मान, जान्हवी सेवा सम्मान, अपराजिता सम्मान, पण्डित ओंकार नाथ ठाकुर सम्मान इत्यादि।
आपकी कई पुस्तकें प्रकाशित हैं जिनमें संगीत की तपोभूमि उत्तर प्रदेश, राग एवं मानव जीवन, त्रिपथगामिनी गंगा इत्यादि हैं । वर्तमान में आप संगीत एवं मंच कला संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। आपने जिन गुरु के मार्ग दर्शन में शिक्षा प्राप्त की है उनके नाम श्रीमती रोमा भट्टाचार्य, श्रीमती अमला भट्टाचार्य, पंडित नारायण चक्रवर्ती, पंडित मुकुंद विष्णु कालविंट, पंडित सुरेन्द्र मोहन मिश्र, डॉक्टर वनमाला पर्वतकर, पद्मश्री प्रोफ़ेसर ऋत्विक सान्याल, वर्तमान में विदुषी डॉक्टर मंजु सुंदरम जी से उपशास्त्रीय संगीत की शिक्षा प्राप्त कर रही हैं।
महेश मलिक – आप का जन्म मध्य प्रदेश के झोकर (जिला शाजापुर) में हुआ। अपने पिता मनोहर लाल मलिक से प्रेरणा पाकर वायलिन वादन की शिक्षा मेवात घराने के उस्ताद अब्दुल गफ्फूर खां साहब से और उसके बाद मेवात घराने के ही प्रसिद्ध गायक उस्ताद लत्तू खां साहब से ली। महेश मलिक आकाशवाणी के ए ग्रेड कलाकार है। महेश देश के अनेक संगीत समारोह में अपनी सफल प्रस्तुति दे चुके हैं। इनमें चक्रधर समारोह रायगढ़, ताज महोत्सव आगरा, आदि शामिल है।
सुश्री जिया जरीवाला- आपने महज तीन वर्ष की आयु मे भरतनाट्यम नृत्य की शिक्षा गुरु सुश्री चेतना बेन एवं सुश्री नन्दा बेन पहाड़े के सानिध्य में प्रारंभ की। आपने सरजत नृत्य अकादमी, सूरत से अरंगेत्रलम की योग्यता की डिग्री प्राप्त की। सुश्री जिया ने देश के कई सम्माननीय मंचों की शोभा अपनी प्रस्तुति से बढ़ाई है। इसके अलावा सूरत महानगर पालिका द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम, गोवा में सांस्कृतिक कार्यक्रम, अमृतसर में आर्मी अस्पताल में जवान भाइयों के लिए नृत्य की कला प्रस्तुति, गांधीनगर में गुजरात सरकार में अनेक कला नृत्य कार्यक्रम में प्रस्तुतियां दी हैं। सुश्री जिया जरीवाला को कई पुरस्कार और सम्मान भी प्राप्त हुए हैं।