कैंसर, जिला अस्पताल, चरक अस्पताल और सामाजिक न्याय परिसर की खाली पड़ी जमीन देखी
उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन के बेटे डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनते ही शहर में मेडिकल कॉलेज खोलने के लिये जमीन तलाशने का काम तेज गति पकडऩे लगा है। एसीएस और स्वास्थ्य सचिव के निरीक्षण के बाद गुरुवार को कलेक्टर नीरजसिंह मेडिकल कॉलेज खोलने को लेकर चिंह्नित जमीन देखने के लिये पहुंचे। उनके साथ इंजीनियरों का एक दल भी था। वहीं पुराने आरएमओ आफिस के पीछे की जमीन पर बन रहे 50 बेड के हास्पीटल का काम भी मेडिकल कॉलेज की जमीन को फायनल होने तक के लिये रोक दिया गया है। संभवत: इस जमीन को भी फायनल किया जा सकता है।
मु यमंत्री डॉ. यादव के मेडिकल कॉलेज शीघ्र खोलने को लेकर दिये गये निर्देश के बाद इस काम ने तेजी से गति पकड़ ली है। पिछले दिनों एसीएस मोह मद सुलेमान, स्वास्थ्य सचिव डॉ. सुदाम खोड़े ने कैंसर हास्पीटल सहित जिला अस्पताल का दौरा किया था। वह मेडिकल कॉलेज खोलने को लेकर जमीन तलाशने के लिये आये थे। इसके बाद भोपाल से आई एक टीम ने विक्रम विश्वविद्यालय की खाली पड़ी जमीन को देखा था।
उस दौरान यह घोषणा भी हो गई थी कि मेडिकल कॉलेज वहीं पर बनेगा, लेकिन जानकारों ने इसको नकार दिया था। लिहाजा अभी भी मेडिकल कॉलेज की जमीन फायनल करने को लेकर कश्मकश चल रही है। गुरुवार को उज्जैन कलेक्टर नीरजसिंह भोपाल के इंजीनियरों के साथ सबसे पहले कैंसर हास्पीटल पहुंचे।
यहां की खाली पड़ी जमीन का उन्होंने निरीक्षण किया। इसके बाद वह चरक हास्पीटल भी पहुंचे। इसके बाद उन्होंने सामाजिक न्याय परिसर की जमीन का भी मौका म़ुआयना किया। बाद में वह जिला अस्पताल भी पहुंचे। यहां पर किचन और इमरजेंसी वार्ड के बीच की जगह का भी उन्होंने निरीक्षण किया। उनके साथ सीएमएचओ डॉ. दीपक पिप्पल, सिविल सर्जन डॉ. पीएन वर्मा, आरएमओ डॉ. नीतराज गौड़ भी उपस्थित थे।
पुराने आरएमओ कार्यालय के पीछे क्रिटिकल केयर यूनिट का निर्माण रोका
जानकारी में आया है कि जिला अस्पताल परिसर में स्थित पुराने आरएमओ आफिस के पीछे की जमीन पर चल रहे 50 बेड के क्रिटिकल केयर यूनिट के काम को रोक दिया गया है। इसको रोकने के पीछे का मकसद भी मेडिकल कॉलेज खोलने को लेकर है।
ज्ञात रहे कि यहां पर भी काफी जमीन पड़ी हुई है। जिस पर 50 बेड का क्रिटिकल केयर यूनिट बन रही थी। फिलहाल इसका काम होल्ड पर रखा गया है। मेडिकल कॉलेज की जमीन फायनल होने के बाद इसका निर्माण कार्य फिर से शुरू किया जा सकता है। अथवा इस जमीन को भी फायनल किया जा सकता है।
ज्ञात रहे कि दैनिक अग्निपथ द्वारा पहले ही यह लिखा जा चुका है कि मेडिकल कॉलेज खोलने को लेकर जो नियम है, इसके अनुसार जिला अस्पताल के आसपास ही मेडिकल कॉलेज को खोला जा सकता है। ताकि इसमें पढऩे वाले स्टूडेंट्स अस्पताल में जाकर प्रेक्टिकल कार्य का भी अनुभव प्राप्त कर सकें।