डायरेक्टर ने पहले आकर देखी व्यवस्था, महाकाल दर्शन किये-महाकाल लोक, रामघाट भी घूमे, स्मार्ट सिटी कार्यालय में अधिकारियों से बैठक की
उज्जैन, अग्निपथ। प्रदेश के धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग संचालनालय के डायरेक्टर ई रमेश कुमार रविवार को उज्जैन पहुंचे। उन्होंने श्री महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन करने के बाद मंदिर में दर्शनार्थियों की व्यवस्थाओं को देखा। डायरेक्टर ई रमेश ने कहा कि भगवान महाकाल के दर्शन के बाद यहां की व्यवस्था के संबंध में जिला प्रशासन से रूबरू हुए है। यहां की व्यवस्था का भी जायजा लिया है। हमारा उद्देश्य यही रहेगा कि यहां आने वाने श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्थाएं बेहतर हो और आगे भी सुविधाओं में बढ़ोत्री की जा सके।
रविवार को धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग संचालनालय के डायरेक्टर ई रमेश कुमार ने उज्जैन पहुंचकर श्री महाकालेश्वर मंदिर में भगवान महाकाल के दर्शन किए। इसके बाद उन्होंने मंदिर में दर्शनार्थियों के लिए प्रवेश और निर्गम की व्यवस्था देखी। मंदिर समिति के प्रशासक मृणाल मीना और सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने मंदिर की व्यवस्था के साथ ही मंदिर में चल रहे निर्माण कार्यो के संबंध में जानकारी दी।
मंदिर का अवलोकन करने के बाद उन्होंने श्री महाकाल महालोक में भी निरीक्षण किया। बाद में उन्होने रामघाट पहुंचकर वहां की जानकारी भी ली है। यहां से वे स्मार्ट सिटी कार्यालय पहुंचे थे, जहां पर धर्मस्व विभाग संचालनालय का कार्यालय शिफ्ट किया जाना है। दोपहर में डायरेक्टर ई रमेश कुमार ने सर्किट हाउस पर प्रशासनिक अधिकारियों के साथ चर्चा की है।
बता दें कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने घोषणा की है कि भोपाल में स्थित धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग संचालनालय को उज्जैन में शिफ्ट किया जाएगा। यहां पर श्री महाकालेश्वर मंदिर होने के साथ ही सिहंस्थ महापर्व का आयोजन भी होता है। उज्जैन में ही जिले के सरकारी नियंत्रण वाले मंदिरों की संख्या भी करीब ढाई हजार से ज्यादा है। इसलिए धार्मिक न्यास एंव धर्मस्व विभाग संचालनालय उज्जैन में स्थानांतरित किया गया है। संभव है कि आचार संहिता खत्म होने के बाद संचालनालय शिफ्ट हो जाएगा।
कैबिनेट में हो चुका है विभाग शिफ्ट करने का निर्णय, क्योंकि प्रदेश में सर्वाधिक ढाई हजार से अधिक मंदिर उज्जैन में
प्रदेश का धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व संचालनालय जल्द भोपाल से उज्जैन शिफ्ट होने जा रहा है। इसके लिए सिंहस्थ मेला कार्यालय का एक फ्लोर तय किया जा रहा है। चूंकि उज्जैन जिले में शासन नियंत्रित मंदिरों की संख्या सबसे ज्यादा है। इसके अलावा महाकालेश्वर व सिंहस्थ यहां होने से उज्जैन को धार्मिक राजधानी माना जाने लगा है। इसीलिए तय किया गया है कि धर्मस्व का मुख्यालय भी यहीं से संचालित हो।
सबसे बड़ी बात यह कि उज्जैन जिले में सरकारी नियंत्रण वाले मंदिरों की संख्या ढाई हजार से ज्यादा है। इतना ही नहीं इन मंदिरों के पास 7000 हेक्टेयर से ज्यादा भूमि है। मंदिरों में सुविधाओं का अभाव है। मंदिर की भूमि का ठीक से रखरखाव भी नहीं किया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अयोध्या में श्रीराम मंदिर के दर्शन करने के बाद वहीं से घोषणा की थी कि प्रदेश के सभी मंदिर रोजगार के बड़े केंद्र हो सकते हैं।
भगवान के वस्त्र-आभूषण, शृंगार सामग्री, धातु व पत्थर की मूर्तियां, पूजा सामग्री आदि के निर्माण करने वालों को कुटीर उद्योग के तहत प्रोत्साहित किया जाएगा। स्व सहायता समूहों के माध्यम से मंदिरों में स्टॉल लगाए जाएंगे। इसके बाद कैबिनेट ने फैसला लिया कि प्रदेशभर के सरकारी नियंत्रित मंदिरों की पूरी व्यवस्था सुचारू करने के लिए धर्मस्व विभाग उज्जैन शिफ्ट किया जाए। यह भी तय हुआ कि धर्मस्व, राजस्व, संस्कृति ग्रामीण विकास और नगरीय विकास व आवास विभागों के मंत्रालयों की उपसमिति बनाकर मंदिरों से जुड़े रोजगार के कामों को बढ़ाया जाए।
आचार संहिता खत्म होते ही मेला कार्यालय के एक फ्लोर शिफ्ट होगा
चूंकि पूरा डायरेक्टोरेट उज्जैन शिफ्ट होना है। इसके लिए जगह की तलाश की जा रही थी। हाल ही में मेला कार्यालय के एक पूरा फ्लोर इसके लिए तैयार कर लिया गया है। आचार संहिता खत्म होते ही डायरेक्टोरेट शिफ्ट होगा। धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व संचालनालय के डायरेक्टर ई. रमेश कुमार का कहना है कि शासन का निर्णय है कि धर्मस्व संचालनालय उज्जैन शिफ्ट किया जाए। आचार संहिता खत्म होने के बाद हम उज्जैन शिफ्ट कर लेंगे। उद्देश्य यही है कि शासन संधारित देवस्थानों में व्यवस्था और बेहतर कैसे की जा सकती है।