फव्वारे में किया स्नान, जूते-चप्पल छोड़े, भगवान शनिदेव को लगाया छप्पन भोग, श्रद्धालुओं ने चढ़ाया तेल
उज्जैन, अग्निपथ। शनिश्चरी अमावस्या नहीं होने के बावजूद भी शनिवार को त्रिवेणी पर स्नान के लिए श्रद्धालु पहुंचे। हालांकि, श्रद्धालुओं की संख्या काफी कम रही। श्रद्धालुओं ने घाट पर ही अपने कपड़े और जूते-चप्पल छोड़ दिए जिसे नगर निगम के कर्मचारी समेटते रहे।
ठंड के तीखे तेवर के चलते सुबह 7 बजे बाद स्नान के लिये श्रद्धालुओं के आने की शुरुआत हुई। अधिकांश श्रद्धालु ग्रामीणों क्षेत्रों से त्रिवेणी घाट पहुंचे और यहां शिप्रा में छोड़े गए नर्मदा के जल से फव्वारा स्नान किया। महिलाओं के लिए घाट पर ही तीन चेंजिंग रूम बनाए गए थे। स्नान के बाद भगवान शनिदेव को तेल चढ़ाया।
पुजारी पं. शैलेंद्र त्रिवेदी डिब्बेवाला ने बताया कि शुक्रवार को भगवान शनिदेव को पंचामृत स्नान करवाया गया था। इसके बाद रात में भगवान का आकर्षक शृंगार किया जिसे पूरा होने में कई घंटों का समय लगा। इसके बाद भगवान को 56 भोग लगाया गया। सुबह 7 बजे दर्शन की शुरुआत हुई।
स्वास्थ्य विभाग काअमला रहा मुस्तैद
शनि मंदिर परिसर में स्वास्थ्य विभाग का अमला भी तैनात था। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए परिसर में ही दो बेड लगाए गए थे। ऑक्सीजन सिलेंडर रखा गया था और डॉक्टर की ड्यूटी भी लगाई गई थी।
तिथियों को लेकर चल रहा था संशय
इस बार शनिश्चरी अमावस्या को लेकर संशय की स्थिति थी लेकिन ज्योतिषचार्यों ने स्पष्ट कर दिया था कि शनिवार को शनिश्चरी अमावस्या नहीं है। ज्योतिषाचार्य पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास ने बताया वैदिक पंचांग के अनुसार अमावस्या की तिथि शनिवार सुबह 10.30 बजे से शुरू हुई और 1 दिसंबर को सुबह 11.51 बजे तक रहेगी इसलिए उद्यात तिथि में रविवार को स्नान-दान की अमावस्या रहेगी।