रसायन एवं जैव रसायन अध्ययन शाला द्वारा इंडस्ट्री-ऐकडेमिया इंटरेक्शन की बैठक

छात्रों को उद्योगों में जाकर 6 महीने का प्रशिक्षण अनिवार्य किया जाना प्रस्तावित

उज्जैन, अग्निपथ। विक्रम विश्विद्यालय की रसायन एवं जैव रसायन अध्ययन शाला के द्वारा इंडस्ट्री-ऐकडेमिया इंटरेक्शन की बैठक आयोजित की। इस आयोजन का उद्देश्य छात्र कौशल और उद्योग की मांग के बीच चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोग को बढ़ावा देकर उद्योग और शिक्षा जगत के बीच की खाई को पाटना एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) को प्राप्त करना था।

बैठक की अध्यक्षता कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज, विक्रम यूनिवर्सिटी ने की तथा समन्वयक प्रो. उमा शर्मा ने कार्यक्रम की रूपरेखा बताई। बैठक मे प्रोफेसर रजनीश मिश्रा, आईआईटी इंदौर, डॉ आनंद वर्धन, श्रीनिवास फार्मा प्राइवेट लिमिटेड, डॉ अर्चना सिंह, प्रिंसिपल साइंटिस्ट एडवांस्ड मैटेरियल एंड प्रोसेसेस रिसर्च इंस्टीट्यूट भोपाल, संजय ज्ञानी, अल्केमी हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड, उज्जैन रेगिनल डी कुन्हा, असिस्टेंट मैनेजर एचआर इप्का देवास, यशवर्धन जैन यशवर्धन इंडस्ट्रीज मक्सी रोड उज्जैन, विष्णुपाद साहू बरअक्युलर प्राइवेट लिमिटेड देवास, डॉ संजय शर्मा उज्जैन, प्रियांशु उपाध्याय मालवा केमिकल्स रतलाम तथा अनुज जी जैन उज्जैन आदि ने सहभागिता की तथा अपने विचारों से अवगत कराया।

बैठक में एक मजबूत उद्योग-अकादमिक सहयोग (आईएसी) ढांचे का प्रस्ताव तथा गतिशील उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप पाठ्यक्रम को समृद्ध करने पर विचार किया गया जिसके तहत छात्रों को उद्योगों में जाकर 6 महीने का प्रशिक्षण अनिवार्य किया जाना प्रस्तावित किया गया।

स्नातक व स्नातकोतर स्तर पर छात्रों के पाठ्यक्रम में सॉफ्ट स्किल कौशल का समावेश, अनुसंधान आधारित पेटेंट, तथा बौद्धिक संपदा पाठ्यक्रम को शामिल किये जाने पर जोर दिए जाने का भी सुझाव दिया गए। यह सुझाव भी दिया गया कि शैक्षणिक संस्थान को सैद्धांतिक और व्यावहारिक ज्ञान के तहत रासायनिक हैंडलिंग और रासायनिक सुरक्षा प्रयोगों, एचपीएलसी आदि विषयो पर जोर देकर छात्रों को सिखाना चाहिए।

विक्रम विश्वविद्यालय मे न्यूट्रास्यूटिकल परीक्षण प्रयोगशाला तथा रिसर्च प्रयोगशाला विकसित करनी चाहिए। हाइ$फनेटेड तकनीक जैसे जीसी मास, एलसी मास एवं द्रव्यमान अशुद्धियों के बारे में तथा विभिन्न पृथक्करण तकनीकों पर ध्यान केंद्रित कर विद्यार्थियों प्रशिक्षित किया जाना चाहिए तथा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया जाना चाहिए।

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