कलापर्व का हुआ आयोजन
उज्जैन, अग्निपथ। सुप्रसिद्ध चित्रकार सचिदा नागदेव के भारतीय कला में योगदान को दर्शाने हेतु हर वर्ष उनके जन्मदिन 25 अक्टूबर को एक कला पर्व का आयोजन किया जाता है। इस बार सचिदा नागदेव रंग-स्मृति- 8 राष्ट्रीय कला पर्व का आयोजन कालिदास अकादमी और वाकणकर शोध संस्थान उज्जैन में स्वर-रंग आर्ट एंड कल्चरल सोसाइटी,भोपाल तथा मध्य प्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा किया गया।
चूंकि नागदेवजी का जन्मस्थान उज्जैन रहा है और वो विश्व प्रसिद्ध पुरातत्ववेत्ता पद्मश्री डा. वाकणकर के प्रथम एवं परमप्रिय शिष्य थे। अत: इस वर्ष ये विशेष कार्यक्रम गुरु-शिष्य परंपरा थीम पर उज्जैन में किया गया। इसमें गुरु -शिष्य परंपरा पर केंद्रित 2 दिवसीय कला समारोह 21-22 दिसंबर ,कालिदास अकादमी में हुआ।
सचिदाजी के 50 से 70 के दशकों के पेंटिंग्स एवं वाकणकर सर के साथ के उनके दुर्लभ फोटोज की प्रदर्शनी का उद्घाटन शाम 5 बजे सुप्रसिद्ध फिल्म निदेशक अमित राय द्वारा किया गया साथ ही प्रसिद्द पुरातत्ववेत्ता व वाकणकर सर के शिष्य नारायण व्यास , वाडियाजी , श्रीकृष्ण जोशी व पुष्पा चौरसिया उपस्थित थे।
डॉक्यूमेंट्री दिखाई
नागदेवजी के जीवन पर एक डॉक्यूमेंट्री दिखाई गयी। सुप्रसिद्ध फिल्म निर्देशक अमित राय ने गुरु- शिष्य परंपरा पर अपना वक्तव्य दिया। इसके बाद राहुल शर्मा और स्मिता नागदेव द्वारा वाकणकर सर द्वारा लिखी गयी कविता इतिहास के पटल पर सितार और कविता की प्रस्तुति दी गयी। अंत में श्रीमती सुषमा व्यास ने अपने साथियो के साथ मालवी लोक गीतों की सुमधुर प्रस्तुति दी।
गैलरी में पेंटिंग का लाइव डेमोंस्ट्रेशन
22 दिसम्बर की सुबह वाकणकर शोध संसथान में गुरु वाकणकर सर और नागदेवजी के फोटो पर पुष्प अर्पण कर सभा की शुरुआत हुई जिसमे अभिनेता, लेखक राहुल शर्मा ने वाकणकर सर पर एक कविता सुनाई उसके बाद कला भवन के छात्रों ने अपने उस समय के संस्मरण सुनाये। शाम को प्रसिद्ध चित्रकार श्रीकृष्ण जोशीजी ने गैलरी में पेंटिंग का लाइव डेमोंस्ट्रेशन दिया उसके बाद राजशेखर व्यास जो की साहित्य में एक जानीमानी हस्ती है। ये लेखक , दूरदर्शन और आल इंडिया रेडियो के पूर्व एडिशनल डायरेक्टर जनरल रहे हैं, इन्होंने गुरु श्री वाकणकर सर पर अपना वक्तव्य दिया।
नारायण व्यास एक सुप्रसिद्ध पुरातत्ववेत्ता और वाकणकरजी के शिष्य रहे है इन्हे कला व पुरातत्वव में कई स मान प्राप्त है इन्होंने भी अपने संस्मरण सुनाये। ये भीमबैठिका की खोज के समय सर के साथ थे। अंत में कविता और सितार की प्रस्तुति राहुल शर्मा एवं स्मिता नागदेव द्वारा दी गयी। कार्यक्रम का संचालन सुश्री पाखुरी द्वारा किया गया।
इस प्रदर्शनी में वाकणकर सर द्वारा बनाये गए दो पेंटिंग भी रखे गए थे। ये प्रदर्शनियां दर्शको के अवलोकन हेतु 31 दिसंबर तक खुली रहेगी।