अर्जुन सिंह चंदेल
गतांक से आगे
अब हम चल पड़े भूटान पर्यटन के सबसे महत्वपूर्ण ‘सिम्पली भूटान म्युजियम’ को देखने। आने वाले पर्यटकों को भूटान के इतिहास, संस्कृति, परंपराओं का सजीव चित्रण देखने के लिये यहाँ आना अति आवश्यक है। इस संग्रहालय का प्रवेश शुल्क 1000/- (एक हजार) रुपये प्रति व्यक्ति है। विशेष बात यह है कि इस संग्रहालय का पूरा संचालन भूटान के युवा लडक़े-लड़कियां ही करते हैं और यहाँ से प्राप्त होने वाली आय भी भूटान के युवाओं के कल्याण हेतु संचालित योजनाओं पर ही खर्च की जाती है।
तो चलिये आपको ले चलता हूँ ‘सिम्पली भूटान संग्राहालय’ दिखाने। हम 6 लोग की 6 हजार की टिकट से संग्रहालय के अंदर प्रवेश करते ही भूटानी बालाओं की मुस्कराहट ने मन मोह लिया। स्वागत कक्ष में हम सभी को ससम्मान बिठाया गया, तभी एक नवयुवती आयी जिसे हमारे ग्रुप के लिये गाईड नियुक्त किया गया था, उसने आते ही अँग्रेजी भाषा में कसीदे कढऩा शुरू कर दिये।
अपने राम ठेठ हिंदी भाषी, सारी बातें सिर के ऊपर से जा रही थी। हमने वहाँ के प्रबंधक से निवेदन किया कि हमें ऐसी गाईड दीजिये जो हमें हिंदी में बता और समझा सके। हमारे निवेदन पर त्वरित कार्यवाही हुयी। दूसरी भूटानी नवयौवना मुस्कुराती हुयी आयी जो अच्छी हिंदी बोल रही थी।
सबसे पहले हमें भूटान की देशी (गेहूँ से बनी) शराब का एक-एक प्याला वेल्कम ड्रिंक्स के बतौर दिया गया। अपने यहाँ कलालियों पर मिलने वाले देशी ठर्रे वाला स्वाद का एक घूँट भी लेना कठिन परीक्षा थी परंतु साथियों ने साहस का परिचय देते हुए उसे ग्रहण कर लिया। यह वेल्कम ड्रिंक्स दुबारा भी लिया जा सकता था।
आकर्षक नवयौवना गाईड ने हमें उसी कक्ष में भूटान के इतिहास के बारे में बताया और फिर वह हम सबको साथ लेकर बढ़ चली आगे जहाँ भूटानी परंपरा का सजीव चित्रण हो रहा था। जिसमें 3 नवयुवक अपने पुस्तैनी मकान की दीवाल का औजारों के साथ निर्माण करते समय नृत्य भी कर रहे थे और भूटानी भाषा में गायन भी कर रहे थे।
लाईव शो जो बहुत मनमोहक बन चला था हम सभी साथी उनके नृत्य और गायन को देखने-सुनने में मशगूल हो गये। नृत्य आँखों को और गायन कर्णों को प्रिय लग रहा था। लगभग 15 मिनट तक उसे अपलक देखने के बाद वह नवयुवती हमें आगे लेकर गयी जहाँ एक जगह बहुत सारे ‘लिंग’ रखे हुए थे।
उन्हें देखकर हम सभी ठिठक गये और हमें संकोच हुआ क्योंकि हमारे साथ हमारी गाईड एक नवयुवती थी। तभी उस शालीन और मृदुभाषी लडक़ी ने खामोशी तोड़ते हुए कहा कि संकोच करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि हमारे देश भूटान में ‘लिंग’ की पूजा एक पारंपरिक और धार्मिक अनुष्ठान है। बिना झिझक और शर्म के उसने बताया कि हमारे देश में लिंग को प्रजनन और फलदायिनी शक्ति का प्रतीक माना जाता है और हम लोग लिंग की पूजा से संतान और समृद्धि प्राप्त करते हैं।
उसने धारावाहिक बोलते हुए कहा कि लिंग की पूजा से पवित्रता, शुद्धि, ज्ञान और मुक्ति मिलती है। यहाँ यह बता दूँ कि भूटान में लिंग की पूजा पीढिय़ों से चली आ रही है और भूटानी इसे अपने संस्कृति और परंपरा का हिस्सा मानते हैं और यह मानते हैं कि लिंग पूजा समाज की एकता और सामाजिक संबंधों को मजबूत करती है।
लिंग पूजा अनुष्ठान में एक साथ भाग लेने से भाईचारा मजबूत होता है। भूटान में लिंग पूजा के लिये दो प्रसिद्ध मंदिर भी है एक चिमी ल्हाखंग मंदिर पुनाखा जिले में (जहाँ मैं आपको ले चलूँगा) दूसरा कुचु ल्हाखंग मंदिर पारों जिले में। लगी ना जानकारी रोचक।
शेष कल