पांच किमी दूर से देगा दिखाई, देश का पहला श्मशान जहां लगेगा इतना बड़ा स्टैच्यू
उज्जैन, अग्निपथ। के चक्रतीर्थ श्मशान घाट पर जल्द ही सुदर्शन चक्र का 60 फीट ऊंचा स्टैच्यू स्थापित होगा। यह इतना बड़ा होगा कि इसे कई किलोमीटर दूर से देखा जा सकेगा। इस चक्र के माध्यम से अपनों के अंतिम संस्कार के लिए यहां आने वाले लोग उज्जैन के पौराणिक महत्व से चक्रतीर्थ श्मशान के जुड़ाव की गाथा के बारे में जान सकेंगे।
उज्जैन में शिप्रा नदी किनारे बने प्राचीन श्मशान घाट को चक्रतीर्थ कहा जाता है। लेकिन कम ही लोग हैं जो इसके पीछे की गाथा जानते होंगे। अब जल्द ही नगर निगम, अंतिम पड़ाव व मोक्ष के स्थान चक्रतीर्थ की कहानी बताने वाला 60 फीट ऊंचा सुदर्शन चक्र का स्टैच्यू स्थापित करेगा।
80 लाख रुपए से बनने वाला स्टैच्यू करीब पांच किमी दूर से दिखाई देगा। संभवत: देश में पहली बार किसी श्मशान में इतना विशाल स्टैच्यू स्थापित किया जा रहा है। चक्रतीर्थ के नामकरण और इसके पीछे की गाथा अब जनता के सामने स्टैच्यू के माध्यम से आएगा।
चक्रतीर्थ की पौराणिक मान्यता
किंवदंतियों और मान्यताओं के अनुसार महाभारत के युद्ध में कर्ण की मृत्यु के बाद उनके अंतिम संस्कार के लिए पृथ्वी पर सबसे पवित्र स्थान की खोज की गई। सूर्य पुत्र होने के कारण कर्ण की देह को सबसे पवित्र माना गया है। जब ऐसा कोई स्थान नहीं मिला, तब स्वयं भगवान कृष्ण ने कर्ण को मोक्ष देने और वैकुंठधाम भेजने के लिए अपनी शिक्षा स्थली उज्जैन/अवंतिका का चयन किया।
श्री कृष्ण ने कर्ण के शरीर के साथ अपने सुदर्शन चक्र को भी उज्जैन भेजा। यहां शिप्रा नदी के किनारे सुदर्शन चक्र के ऊपर रखकर कर्ण का अंतिम संस्कार किया गया। इसलिए इसका नाम चक्रतीर्थ पड़ा। माना जाता है कि इस जगह पर अंतिम संस्कार होने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ऐसा होगा सुदर्शन चक्र
महापौर मुकेश टटवाल ने बताया कि हाथ में चक्र करीब 15 फीट चौड़ा रहेगा। वहीं जमीन पर पुष्प की आकृति बनाई जाएगी। इसे छोटे गार्डन को विकसित करने के बाद स्थापित किया जाएगा। यह शिप्रा नदी के बड़े पुल, दत्त अखाड़ा, कार्तिक मेला प्रांगण और बडऩगर रोड से भी दिखाई देगा। सुदर्शन चक्र के लिए 80 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की है। इसकी ड्राइंग डिजाइन तैयार कर ली है। जल्द ही काम शुरू होगा।